उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि पति या पत्नी में से कोई एक दूसरे पक्ष को एक निश्चित राशि का भुगतान कर तलाक नहीं खरीद सकता.
इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि अदालतें हिन्दू विवाह कानून का उल्लंघन कर कोई फैसला नहीं दे सकतीं. न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा की पीठ ने कहा कि कानून दूसरे पक्ष की सहमति के बिना तलाक खरीदने की अनुमति नहीं देता. न्यायालय ने संगीता दास की अपील को बरकरार रखते हुए यह फैसला दिया.
संगीता ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती दी थी जिसमें उसकी सहमति के बिना उसके पति तपन कुमार मोहंती को तलाक की अनुमति दी गयी थी.