उच्चतम न्यायालय ने वकीलों से आज कहा कि वे इंटरनेट का ज्ञान अर्जित करें ताकि विशेष तौर पर व्यावसायिक मुकदमों की त्वरित सुनवाई में मदद मिल सके.
न्यायालय ने कहा कि वकीलों और उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री द्वारा मामलों के लंबित रहने के दौरान ईमेल का उपयोग समय की बचत में कारगर साबित होगा क्योंकि न्यायालय की कार्यवाही में देरी संबद्ध पक्षों को दस्तावेज मुहैया कराने में विलंब के कारण होती है.
मुख्य न्यायाधीश एस एच कपाड़िया, न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की पीठ ने उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री को अतिरिक्त नोट्स और अन्य दस्तावेज ईमेल के माध्यम से भेजने का निर्देश देते हुए कहा, ‘‘मामलों के लंबित होने के 50 प्रतिशत मामले सेवा में देरी से जुड़े होते हैं.’’ पीठ ने कहा कि याचिकाओं, हलफनामों और अन्य दस्तावेजों को दायर करते समय वकील दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी को पेन ड्राइव या सीडी के जरिये दे सकते हैं.