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चिदंबरम अकेले कैबिनेट का फैसला नहीं बदल सकते थे: खुर्शीद

कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने स्वीकार किया कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और गृह मंत्री पी चिदंबरम के बीच 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर ‘कामकाजी मतभेद’ थे, लेकिन उन्होंने स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए ‘पहले आओ पहले पाओ’ नीति पर चिदंबरम का बचाव करते हुए कहा कि वह अकेले कैबिनेट के फैसले को नहीं बदल सकते थे.

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सलमान खुर्शीद
सलमान खुर्शीद

कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने स्वीकार किया कि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और गृह मंत्री पी चिदंबरम के बीच 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर ‘कामकाजी मतभेद’ थे, लेकिन उन्होंने स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए ‘पहले आओ पहले पाओ’ नीति पर चिदंबरम का बचाव करते हुए कहा कि वह अकेले कैबिनेट के फैसले को नहीं बदल सकते थे.

खुर्शीद ने कहा, ‘चिदंबरम कैबिनेट के फैसले के बाद भी नीलामी पर जोर देते रहे.’ उन्होंने कहा कि तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम फैसला नहीं बदल सकते थे क्योंकि यह कैबिनेट का फैसला था. उन्होंने कहा, ‘क्या चिदंबरम अकेले कैबिनेट के फैसले को बदल सकते थे? जब कैबिनट ने नीलामी के खिलाफ एक बार फैसला कर लिया तो बाजार निर्धारण का क्या अलग तरीका हो सकता था.’

खुर्शीद ने कहा कि जब कैबिनेट के किसी फैसले के संदर्भ में बड़ी संख्या में मंत्रियों और एक मंत्री के बीच असहमति हो या दो मंत्रियों के बीच असहमति हो, ‘किसी एक बिन्दु पर आपको हां कहना होगा..’ चिदंबरम का बचाव करते हुए खुर्शीद ने कहा, ‘चिदंबरम ने कहा कि अब तक आपने जो किया है, वह कैबिनेट के फैसले पर आधारित है, अब अतिरिक्त स्पेक्ट्रम की जरूरत है. इसके लिए अलग संदर्भ में किया जाना चाहिए.’

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खुर्शीद ने भाजपा नेता अरूण जेटली के इस दावे का उपहास किया कि भ्रष्टाचार निवारण कानून की धारा 13 (1)(डी)(2) के तहत चिदंबरम लाइसेंस आवंटी को अनुचित आर्थिक लाभ देने के ‘दोषी’ हैं. कानून मंत्री ने कहा, ‘क्या आप विश्लेषण कर सकते हैं कि यह आपराधिक दोष कैसे हुआ.

योजना आयोग के दस्तावेज के आधार पर हमारी राय यह थी कि हम वहां धन नहीं हासिल करने के लिए नहीं थे बल्कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि अधिकतम कवरेज हो, लोगों को सस्ती दर पर टेलीफोन सुविधा मिल सके.’ खुर्शीद ने दावा किया कि आज विश्व में न्यूनतम दर पर सबसे अधिक कवरेज भारत में है. ‘अगर यह हमारी नीति थी तो हम सफल रहे.

चिदंबरम और संप्रग एक को सफल कार्यान्वयन के लिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि कार्यान्वयन प्रक्रिया में हमारे मंत्रियों में एक ने शायद कुछ गलती की, जिसे अदालत देख रही है.’ उन्होंने कहा कि एक खास कीमत पर स्पेक्ट्रम देने का 2001 का फैसला ‘मिस्टर जेटली की सरकार’ ने लिया था. राजग सरकार ने 2003 में अतिरिक्त लाइसेंस आवंटित करने का फैसला किया था.

खुर्शीद ने कहा, ‘हमने जो किया, हमने सोच समझ कर फैसला किया, राजा या चिदंबरम ने नहीं बल्कि कैबिनेट ने सोच समझ कर 2003 के कैबिनेट फैसले को जारी रखने का फैसला किया.’ उन्होंने 25 मार्च के नोट के बारे में कहा कि नोट में जो निष्कर्ष हैं उसमें विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारियों का नजरिया नहीं परिलक्षित होता.

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यह पूछे जाने पर कि मुखर्जी ने सिर्फ यह कहा कि नोट में उनके विचार नहीं परिलक्षित होते, उन्होंने यह नहीं कहा कि वह इससे असहमत हैं, खुर्शीद ने कहा कि यह एकमात्र तरीका है जिसमें कोई कह सकता है कि ‘ये मेरे विचार नहीं हैं.’ उन्होंने कहा, ‘अगर वे आपके विचार नहीं हैं, आप उनसे सहमत नहीं हैं. यह व्यावहारिक भाषा है जिसका इस्तेमाल हम रोजाना की जिंदगी में करते हैं, खासकर भारतीय राजनीति में.’

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