उच्चतम न्यायालय ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और 18 अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र का मामला चलाने के लिये दायर सीबीआई की याचिका को 27 मार्च के लिये सूचीबद्ध करते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद ढहाना सिर्फ एक घटना है और इसके बारे में कुछ प्रख्यात या कुख्यात नहीं है.
न्यायमूर्ति एच.एल. दातू और न्यायमूर्ति सी.के. प्रसाद की पीठ ने कहा, ‘इसके बारे में क्या मशहूर है. यह एक घटना थी जो घटी और सभी पक्ष हमारे सामने हैं. यह प्रख्यात या कुख्यात नहीं है.’ अदालत ने यह टिप्पणी अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल की बात पर की. अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल ने कार्यवाही की शुरुआत में कहा कि मामला ‘मशहूर’ बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले से संबंधित है.
पीठ के समक्ष कार्यवाही नहीं हुई क्योंकि यह बताया गया कि मामले के कुछ पक्षों ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया है. इसके बाद सुनवाई मार्च तक स्थगित कर दी गई.
उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष 4 मार्च को 21 लोगों को नोटिस जारी किया था जिसमें आडवाणी, ठाकरे, कल्याण सिंह, उमा भारती, सतीश प्रधान, सी. आर. बंसल, एम. एम. जोशी, विनय कटियार, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, साध्वी ऋतंभरा, वी. एच. डालमिया, महंत अद्वैतनाथ, आर. वी. वेदांती, परम हंस राम चंद्र दास, जगदीश मुनि महाराज, बी. एल. शर्मा, नृत्य गोपाल दास, धरम दास, सतीश नागर और मोरेश्वर सावे शामिल हैं.
अदालत ने इनमें से सभी को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है कि बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के सिलसिले में उनके खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र के मामले क्यों नहीं फिर से शुरू किये जाएं. इसने सीबीआई की अपील पर आदेश पारित किया जिसने 21 मई 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है.
उच्च न्यायालय ने विशेष अदालत के इस फैसले को बहाल रखा था कि नेताओं के खिलाफ आरोप खारिज कर दिये जाएं. बहरहाल, उच्च न्यायालय ने उस वक्त सीबीआई को आडवाणी एवं अन्य के खिलाफ रायबरेली की एक अदालत में अन्य आरोपों को बढ़ाने की अनुमति दे दी थी क्योंकि विवादित ढांचा उसके न्यायिक क्षेत्र में आता है.
उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए सीबीआई ने अपनी एक याचिका में कहा है कि ‘लगता है कि निचली अदालत ने नकली विशिष्टता बनाई.’ इसने कहा कि निचली अदालत गलत तौर पर इस निष्कर्ष पर पहुंची कि 21 लोग मामले में (6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के सिलसिले में) मुकदमा चलाये जाने के योग्य नहीं हैं.