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रिलायंस ने तेल-गैस प्रखंडों की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी बीपी को बेची

ब्रिटेन में पंजीकृत पेट्रोलियम जगत की प्रमुख कंपनी बीपी ने भारत में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी, रिलायंस इंडस्ट्रीज की 23 तेल और गैस उत्खनन परियोजनाओं में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने सौदा किया है.

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Mukesh Ambani
Mukesh Ambani

ब्रिटेन में पंजीकृत पेट्रोलियम जगत की विशाल कंपनी बीपी ने भारत में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी, रिलायंस इंडस्ट्रीज की तेल और गैस उत्खनन परियोजनाओं में हिस्सेदारी के लिए 7.2 अरब डालर के सौदे की घोषणा की.

इसके तहत वह भारत में रिलायंस की 23 तेल और गैस उत्खनन परियोजनाओं में 30 प्रतिशत हिस्सेदार बनेगी. मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास इस समय 29 तेल गैस प्रखंड हैं तथा वह पन्ना मुक्ता और ताप्ती तेल और गैस प्रखंडों में 30 प्रतिशत की हिस्सेदार है.

इस सौदे के तहत रखी गयी परियोजनाओं में रिलायंस की आंध्र तट के पास समुद्र में स्थित प्रचुर केजी-डी6 गैस परियोजना भी है. यह भारत में अब तक का सबसे बड़ा अकेला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सौदा बताया जा रहा है. दोनों कंपनियों की ओर से जारी एक समान विज्ञप्तियों में कहा गया है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के बीच इस शेयर हस्तांतरण के अलावा गैस की खरीद और विपणन के लिए एक साझा उद्यम स्थापित किया जाएगा. जिसमें दोनों की 50-50 प्रतिशत की हिस्सेदारी होगी. {mospagebreak}

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रिलायंस इंडस्ट्रीज और बीपी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बीपी भविष्य में निकासी बेहतर होने पर इस सौदे के लिए 1.8 अरब डालर की राशि और देगी. विज्ञप्तियों के मुताबिक बीपी द्वारा रिलायंस को किए जाने वाले भुगतान समेत इस उपक्रम में कुल निवेश 20 अरब डालर का हो सकता है.

बयान के अनुसार अंबानी और बीपी के सीईओ बाब डडले ने दोनों भागीदारों के बीच संबंधों की रूपरेखा देखा और और इस करार पर लंदन में हस्ताक्षर किये. रिलायंस ने कहा है कि इस समझौते से उसे गहरे समुद्र में तेल गैस उत्खनन और परियोजनाओं के विकास में बीपी के विश्वस्तरीय अनुभवों का लाभ मिलेगा. दोनों के बीच जिन 23 तेल एवं गैस प्रखंडों के लिये भागीदारी का सौदा हुआ है उनका संयुक्त क्षेत्र फल 270,000 वर्ग किलोमीटर है.

समझौते पर हस्ताक्षर के बाद रिलायंस के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने संवाददाताओं से कहा, ‘भारत के इतिहास में यह सबसे बड़ा अकेला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है.’ उन्होंने उम्मीद जताई कि गहरे समुद्र में तेल उत्खनन के मामले में सबसे अच्छी बात यह है कि इस कंपनी के साथ आने से रिलायंस को केजी बेसिन के डी6 गैस क्षेत्र में उत्पादन के स्तर में गिरावट का सिलसिला बदला जा सकता है. {mospagebreak}

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केजी डी6 क्षेत्र में पिछले साल मध्य में गैस का दैनिक उत्पादन 6 करोड़ घन मीटर तक पहुंच गया था पर अब यह घटकर 5.1 करोड़ घन मीटर रह गया है. दिल्ली में पेट्रोलियम सचिव एस सुंदरेशन ने कहा कि नयी तेल उत्खनन नीति के तहत आवंटित इन प्रखंडों के बारे में इस सौदे के लिए इन कंपनियों को भारत सरकार से मंजूरी लेनी होगी.

वैसे इस सौदों में इन तेल गैस परियोजनाओं पर रिलायंस इंडस्ट्रीज का नियंत्रण बना रहेगा. अंबानी ने भी माना कि इस सौदे के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी. उन्होंने कहा, ‘हम आवेदन करेंगे और मंजूरी लेंगे.’ सौदे की औपचारिकताएं अगले वित्त वर्ष में सम्पन्न किए जाने की उम्मीद है. बीपी के मुख्य कार्यकारी बाब डडले ने सौदे को ‘व्यावहारिक’ बताया.

बीपी को उम्मीद है कि भारत में पेट्रोलियम की मांग सालाना 4 प्रतिशत की दर से बढेगी और इसमें गैस की मांग कि वृद्धि दर पांच प्रतिशत होगी. रिलायंस इंडस्ट्रीज ने 2010 में विभिन्न परियोजनाओं के अधिग्रहण के बाद इस वर्ष अपनी परियोजनाओं में हिस्सेदारी बेचने का यह बड़ा सौदा किया है. कंपनी ने पिछले वर्ष अमेरिका में शेल-गैस (अवसादी चट्टानों की गैस) की विभिन्न परियोजना के अधिग्रहण के कुल 3.4 अरब डालर के सौदे किए थे.

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