देश में कोयला खानों के आवंटन तथा उससे राजस्व को एक लाख 86 हजार करोड़ के घाटे संबंधी भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पर ओछी राजनीति करने का आरोप भारतीय जनता पार्टी पर लगाते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा है कि रिपोर्ट पर जबतक लोक लेखा समिति (पब्लिक अकाउंट्स कमेटी) में चर्चा नहीं हो जाती और समिति की रिपोर्ट बहस के लिए सदन में नहीं आ जाती है तबतक यह वास्तविक नहीं होती है.
जम्मू कश्मीर और पंजाब के आतंकवाद प्रभावितों के लिए आयोजित एक समारोह में हिस्सा लेने आये केंद्रीय योजना, विज्ञान एवं तकनीकी राज्य मंत्री अश्विनी कुमार ने कहा, ‘कैग की रिपोर्ट संसद में पेश होने से पहले पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (पीएसी) में चर्चा के लिए जाती है. इस कमेटी में सभी दलों के सदस्य होते हैं. चर्चा के बाद यह समिति अपनी रपट पेश करती है जिस पर संसद में बहस होती है.’
कुमार ने कहा, ‘कैग की रिपोर्ट पर भारतीय जनता पार्टी ओछी राजनीति कर रही है. यह पहला मौका है जब कैग की रिपोर्ट को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय पर आरोप लगाये जा रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी की मंशा गलत है और संसद में काम काज नहीं होने देना चाह रही है. विपक्षी दल का यह कृत्य असंवैधानिक है.’
मंत्री ने कहा, ‘विपक्ष गलत आरोप लगा रहा है. पीएसी की रिपोर्ट आने से पहले हंगामा और संसद में काम काज ठप करना उनकी मंशा को दर्शाती है. वह संसद हंगामा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि पीएसी की रिपोर्ट के बाद भाजपा बेनकाब हो जाएगी और आरोप गलत हो जाएंगे.'
केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी को पता है कि आगामी आम चुनावों में उनका जनाधार समाप्त हो जाएगा. इसलिए वह राजनीतिक लाभ लेने के लिए कैग की रिपोर्ट को मुद्दा बना कर गलत तरीके से राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है. भगवा पार्टी की इस हरकत को जनता देख रही है और आगामी आम चुनाव के बाद कांग्रेस फिर से सत्ता में आएगी.
गौरतलब है कि भारत के नियंत्रक एंव महालेखा परीक्षक (कैग) हाल ही में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि कोयला खदानों का आबंटन प्रतिसपद्र्धी बोलियों की बजाए आवेदन के आधार पर आबंटित कर दिया गया जिससे चुनिंदा निजी फार्मों को लगभग एक लाख 86 हजार करोड़ रुपये का लाभ हुआ है. कैग की राय में यदि प्रतिस्पर्धात्मक बोली के जरिए आवंटन हुआ होता तो निजी फार्मों को गया यह मुनाफा सरकारी खजाने को मिल सकता था.
इससे पहले केंद्र पर लगाए गए पंजाब सरकार के आरोपों को खारिज करते हुए कुमार ने कहा, ‘केंद्र सरकार ने पंजाब को सबसे अधिक पैसा और सुविधायें मुहैया करायी है. इसमें पंजाब सरकार के सलाना बजट में 21.5 फीसदी की बढ़ोतरी शामिल है.
उन्होंने कहा, ‘पंजाब सरकार की वाषिर्क योजना 2011-12 में 11,560 रुपये थी. इसे बढ़ाकर केंद्र सरकार ने 2012-13 में 14 हजार करोड़ कर दिया है. इसके अलावा 144 करोड रुपये की केंद्रीय सहायता दी गयी है.’
उन्होंने कहा कि अन्य केंद्रीय मदद में 450 करोड रुपये की लागत से कैंसर अस्पताल की मंजूरी, रोपड़ में आईआईटी को विश्व स्तरीय बनाने के लिए अमेरिका के साथ एमओयू, पानी की समस्या से निपटने के लिए मदद और लुधियाना मेट्रो में हर संभव सहायता शामिल है.