बिहार के उपमुख्यमंत्री एवं वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग को संवैधानिक संस्था के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए.
धान उत्पादन लागत आकलन को लेकर बिहार प्रदेश भाजपा किसान मोर्चा के तत्वावधान में आज यहां आयोजित छह राज्यों की अंतर्राज्यीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि कृषि लागत मूल्य आयोग को संवैधानिक अथवा वैधानिक संस्था के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन सांख्यकी विभाग देश के लगभग आठ हजार किसानों के एक महीने की लागत को संग्रह करके उसके आधार पर अपनी अनुशंसा कृषि लागत मूल्य आयोग को भेजते हैं और उसकी सिफारिश के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर निर्णय लेती है.
मोदी ने कहा कि भाजपा किसान मोर्चे को केंद्र सरकार से यह भी मांग करनी चाहिए कि किसी भी कृषि उत्पाद के तय किये गये न्यूनतम समर्थन मूल्य का आधार क्या है उसे भी वह सार्वजनिक करे. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से वित्त आयोग की अनुशंसा को मानने के लिए भारत सरकार बाध्य होती है उसी प्रकार से कृषि लागत मूल्य आयोग की सिफारिश को मानने के लिए बाध्य हानी चाहिये.
मोदी ने कहा कि फसल पर किसानों की लागत की तुलना में केंद्र द्वारा अनाज का न्यूनतम समर्थन मूल्य कम तय किये जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि आज यूरिया खाद को छोडकर सभी अन्य उर्वरकों को केंद्र सरकार ने अपने नियंत्रण से बाहर कर दिया है जिसका परिणाम यह हुआ है कि उनके मूल्य में दोगुने से ज्यादा वृद्धि हो गयी है.
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यही नहीं अब भारत सरकार बहुत जल्द डीजल को भी अपने नियंत्रण से बाहर करने जा रही है ऐसे में आने वाले दिनों में डीजल के भी दाम बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि बिहार जहां बिजली के अभाव के कारण अस्सी प्रतिशत किसान डीजल पर आधारित खेती करते हैं वैसे में उस पर से सरकारी नियंत्रण हट जाने पर किसी फसल को उपजाने में किसान के लागत मूल्य पर क्या असर पड़ेगा.
मोदी ने कहा कि पिछले साल बिहार में 70 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन हुआ जो अब तक का रिकार्ड उत्पादन है और नई-नई तकनीक से इसकी उत्पादकता भी बढ़ गयी है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने अपने 2011-12 के बजट में यह घोषणा की है कि देश में आने वाली दूसरी हरित क्रांति है वह पिछड़े राज्यों बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, असम राज्यों में आएगी.
मोदी ने कहा कि केंद्र एक तरफ इन राज्यों में दूसरी हरित क्रांति की बात करती है वहीं दूसरी तरफ अपने बजट में इन सात राज्यों में राइस क्रापिंग सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए मात्र 400 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. उन्होंने कहा कि एक तरफ देश में खाद्यान्न का संकट मंडराता रहता है वहीं दूसरी तरफ किसानों के उत्पादित अनाजों के उठाव और उनके भंडारण की सही व्यवस्था नहीं होने से उन्हें उनके उत्पादों का सही मूल्य नहीं मिल पाता है.
मोदी ने कहा कि यह विडंबना है कि कृषि प्रधान इस देश में बैंक कार आदि विलासता की वस्तु पर कम ब्याज दर पर रिण उपलब्ध कराते हैं वहीं किसानों को उनको उपकरण खरीदने के लिए लिए दिए गए रिण पर बैंकों को उंची ब्याज दर का भुगतान करना पड़ता है. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि केवल खाद्यान्न का उत्पादन कर किसान अपनी आमदनी नहीं बढ़ा सकता है ऐसे में जब तक मछली, मुर्गी, मधुमक्खी पालन सहित फल-सब्जी का उत्पादन किसान नहीं करेगा तब तक वह आत्मनिर्भर नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि कृषि से जुड़ी सभी विधाओं पर मिलने वाले बैंक रिण पर ब्याज दर को एक समान किया जाना चाहिए.
कार्याशाला को संबोधित करते हुए बिहार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने किसानों को उनके उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं बल्कि उन्हें लाभकारी मूल्य दिए जाने की मांग की और कहा कि इसके लिए किसानों को जागरूक किए जाने के साथ लंबी लड़ाई लड़नी होगी. सिंह ने कहा कि जिस प्रकार से किसानों के उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किए जाने के लिए केंद्र ने आयोग का गठन किया है वैसे ही कृषि उपकरणों, यंत्रों और उर्वरकों एवं रसायनों का मूल्य तय करने के लिए आयोग का गठन किया जाए.
कार्यशाला को संबोधित करते हुए भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश धनकड़ ने कहा कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनने पर सर्वप्रथम स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू किया जाएगा ताकि किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिल सके. दो दिन तक चलने वाली इस कार्याशाला को बिहार के सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह, भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रभारी सत्यपाल मलिक और बिहार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. सी पी ठाकुर सहित कई अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया.