पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का कहना है कि भारत, पाकिस्तान विरोधी अफगानिस्तान का निर्माण करने की कोशिश कर रहा है जो उसके और सोवियत संघ के लिये एक ‘खेल का मैदान’ रहा है.
एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में मुशर्रफ ने ये आरोप लगाए. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि वह 23 मार्च 2012 को पाकिस्तान लौट जाएंगे. गौरतलब है कि देश की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या मामले में वह गिरफ्तारी का सामना कर रहे हैं.
कार्यक्रम के दौरान मुशर्रफ से उनके नौ साल के शासनकाल को लेकर आधे घंटे तक जमकर सवाल-जवाब किए गए. बाद में साक्षात्कार खत्म होते-होते मुशर्रफ की सारी हेकड़ी हवा हो गई. साक्षात्कार के प्रमुख अंश:
प्रश्नः जब आप पाकिस्तान के शासन की बागडोर संभाल रहे थे तो उस दौरान देश में क्या हुआ यह देखकर मुझे आश्चर्य होता है. हम देखते हैं कि यह देश अव्यवस्था और गहरे संकट में फंस गया और अमेरिका नियमित तौर पर इसे विश्व के सबसे खतरनाक देश की संज्ञा देता रहा. आप देश के सैन्य शासक भी थे. ऐसा मालूम होता है कि आपकी सबसे बड़ी नाकामी यह रही कि आप देश में सुरक्षा का माहौल मुहैया नहीं करा सकें.
मुशर्रफः मुझे लगता है कि शुरुआती स्तर पर अमेरिका का ऐसा कहना सही था. पाकिस्तान में बहुत ज्यादा सांप्रदायिक चरमपंथ और अव्यवस्था थी जिस पर मैंने काबू पाया.
प्रश्नः स्पष्टत: आप चीजों पर नियंत्रण नहीं रख सके, अगर मैं ऐसा कहूं तो यह गलत नहीं है क्योंकि अब हम कई ऐसी सचाईयां जानते हैं जो आपके सत्ता में रहते हुए घटित हुईं. उदाहरण के लिए, मैं ओसामा बिन लादेन के बारे में बात कर रहा हूं. हम जानते हैं कि साल 2005 से लेकर 2006 के बीच जब आप सत्ता में थे तो ओसामा आपकी नाक के नीचे रह रहा था. हम जानते हैं कि आप नाकाम हुए.
मुशर्रफः एक घटना को लेकर आप सोचते हैं कि सब कुछ असफल है.
प्रश्नः पूर्व अमेरिकी रक्षा मंत्री रॉबर्ट गेट्स के हवाले से मैं कहूं तो आपने दोहरा खेल खेला. आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में आपने अमेरिका के साथ भागीदारी की और इसी समय तालिबान सहित इस्लामी आंदोलन के साथ अपने संबंधों का आपने त्याग नहीं किया.
मुशर्रफः यह पूरी तरह आधारहीन है.
प्रश्नः मुझे सीआईए के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति ब्रुस रीडल 77 से 2006 तक का हवाला देने दीजिए. पाकिस्तान और अफगानिस्तान की नीतियों की समीक्षा के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उनकी नियुक्ति की है. हाल में ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और खासकर जनरल मुशर्रफ ने बुश प्रशासन के साथ खेल किया. उन्होंने अल-कायदा के बारे में उतनी ही जानकारियां मुहैया कराईं जिससे बुश प्रशासन खुश रह सके, उतनी नहीं जिससे अल-कायदा का खात्मा किया जा सके.
मुशर्रफः मैं सहमत नहीं हूं. मैं इस बयान से बिलकुल भी सहमत नहीं हूं.
प्रश्नः आप एक ऐसे व्यक्ति की तरह हैं जो वापस पाकिस्तान लौटना चाहता है और महत्वपूर्ण भूमिका अदा करना चाहता है. माइक मुलेन और अन्य लोगों के लिए आपका क्या संदेश है जो यह मानते हैं कि इस समय पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के हक्कानी और उसके नेटवर्क के साथ घनिष्ठ संबंध हैं.
मुशर्रफः यह पूरी तरह गलत है. मैं ऐसा नहीं मानता .हालांकि, 2014 में जब गठबंधन सेनाएं वापसी करेंगी तो यह चिंता का विषय होगा। उन्हें इस बात का विश्लेषण करना चाहिए कि हम 2014 में क्या छोड़ने जा रहे हैं क्योंकि इसके बाद पहला शिकार पाकिस्तान ही होगा.
प्रश्नः ऐसा क्यों है जहां तक मैं कह सकता हूं कि सबसे बढ़िया खुफिया सूचनाओं का कहना है कि मुल्ला उमर पाकिस्तान में है.
मुशर्रफः मुझे लगता है कि यह सब बकवास है.
प्रश्नः तो आपको क्या लगता है कि मुल्ला उमर कहां है.
मुशर्रफः मैं नहीं जानता और निजी रूप से मुझे नहीं लगता कि वह पाकिस्तान में हो सकता है.
प्रश्नः मेरा अनुमान है कि ओसामा के बारे में भी आपने ऐसा ही कहा था.
मुशर्रफः मैंने ऐसा कभी नहीं कहा. मैंने हमेशा कहा कि मैं नहीं जानता. ओसामा के बारे में भी मैं नहीं जानता था. दुर्भाग्य है कि वह वहां रह रहा था.
प्रश्नः आप मेरे कथन से सहमत होंगे कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच के रिश्ते मूल रूप से या पूरी तरह टूट चुके हैं.
मुशर्रफः इनमें अभी सबसे ज्यादा कमजोरी आई है. इसमें कोई शक नहीं है कि इनमें कमी आई है.
प्रश्नः कुछ समय पहले आपने भारत पर आरोप लगाया था कि वह पाकिस्तान विरोधी अफगानिस्तान का निर्माण करना चाहता है. क्या आपके पास इस बात का सबूत है?
मुशर्रफः हां, इस बात के व्यापक सबूत हैं. कंधार और जलालाबाद में भारत के वाणिज्य दूतावासों का क्या मतलब है? अफगानिस्तान के सभी कूटनीतिक, सैन्यकर्मी और खुफिया विभाग के लोग भारत में प्रशिक्षण के लिए जाते हैं लेकिन अभी तक कोई भी पाकिस्तान नहीं आया है. वहां उन्हें पट्टी पढ़ाकर वापस भेज दिया जाता है.
प्रश्नः आपके तर्क इस तरफ इशारा करते हैं कि यह पाकिस्तान का कर्तव्य है कि वह अफगानिस्तान में हस्तक्षेप और दखलअंदाजी करता रहे क्योंकि आपका कहना है कि आप बुनियादी भारतीय खतरे का मुकाबला कर रहे हैं. हमें लगता है कि यह स्थायी संघर्ष का तरीका है.
मुशर्रफः भारत के साथ? स्थायी संघर्ष, किसके साथ?
प्रश्नः निश्चित रूप से भारत के साथ और यह अफगानिस्तान के लिए संकट की तरह है.
मुशर्रफः अफगानिस्तान पिछले पचास साल से भारत और सोवियत संघ के लिए खेल के मैदान की तरह रह चुका है.
प्रश्नः क्या यह सही समय नहीं है कि आप भारत के साथ अपने अविश्वास से बाहर निकलें?
मुशर्रफः यह विश्व के लिए और आपके लिए सही समय है कि आप समझें कि मामला यही है.
प्रश्नः पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश के साथ आपका विवाद हुआ और देश के वकीलों का मानना है कि आपने स्वतंत्र न्यायपालिका पर हमला किया. क्या यही वह नीति है जिसे आप पाकिस्तान में दुबारा लाएंगे. यदि आप वापस देश लौटते हैं तो आपकी गिरफ्तारी होगी क्योंकि आप पर बेनजीर भुट्टो को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं करा पाने का आरोप है. क्या आप घर जाने और इन आरोपों का सामना करने को तैयार हैं?
मुशर्रफः हां, इसका सामना करना होगा, लेकिन मैं जानता हूं कि ये मामले राजनीति से प्रेरित हैं. यदि आप पाकिस्तान की व्यवस्था को जानते हैं तो सुरक्षा के किसी मामले में देश के राष्ट्रपति की जिम्मेदारी नहीं होती. यह मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से संबंधित होता है.
प्रश्नः जरा ठहरिए. किसी भी सुरक्षा मामले में पाकिस्तान के राष्ट्रपति की जिम्मेदारी नहीं होती है?
मुशर्रफः नहीं, बिल्कुल नहीं.
प्रश्नः यह भी बकवास होगा.
मुशर्रफः बिल्कुल नहीं. पाकिस्तान के राष्ट्रपति के पास किसी तरह का कार्यकारी अधिकार नहीं होता है. यह प्रधानमंत्री के जिम्मे है.
प्रश्नः इन सालों में, ऐसा प्रतीत हुआ कि आपने अमेरिका के साथ रिश्तों और इस्लामी आतंकवादियों के खिलाफ युद्ध का पथ प्रदर्शन किया, तो क्या सचमुच आपके पास किसी तरह का अधिकार नहीं था?
मुशर्रफः पहले के तीन सालों में निश्चित तौर पर मेरे पास अधिकार था. पाकिस्तान की शीर्ष न्यायालय ने मुझे चुनाव कराने के लिए तीन साल का समय दिया था. प्रमुख कार्यकारी के नाते मैं प्रधानमंत्री था, राष्ट्रपति और सैन्य प्रमुख था और अध्यक्ष भी था. 2002 के बाद चीजें बदल गईं. नेशनल असेंबली का गठन हुआ, प्रधानमंत्री ने कार्यभार संभाला और मैं राष्ट्रपति था.