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सुशील कुमार शिंदे से आदर्श घोटाला मामले में सीबीआई की पूछताछ

केन्द्रीय बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे से आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दिल्ली में पूछताछ की जा रही है. अधिकारियों ने आज यह जानकारी दी.

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सुशील कुमार शिंदे
सुशील कुमार शिंदे

केन्द्रीय बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे से आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाला मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दिल्ली में पूछताछ की जा रही है. अधिकारियों ने आज यह जानकारी दी.

जिस समय दक्षिण मुंबई में बहुमंजिला आदर्श हाउसिंग सोसायटी संबंधी फाइलों पर काम आगे बढ़ रहा था तो उस समय शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे.

सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मुंबई में बताया, ‘मुंबई से सीबीआई अधिकारियों का एक दल बीती रात दिल्ली गया और आज इन फाइलों तथा सोसायटी को मंजूरी दिए जाने के संबंध में शिंदे से पूछताछ की जा रही है.’

बतौर मुख्यमंत्री शिंदे ने तत्कालीन राजस्व मंत्री अशोक चव्हाण द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया और सिफारिश की गयी कि प्रस्तावित सोसायटी में 40 फीसदी फ्लैट गैर सैन्य सदस्यों को आवंटित किए जाएंगे. सोसायटी की स्थापना मूल रूप से कारगिल युद्ध के शहीदों के परिजनों को फ्लैट देने के लिए की गयी थी.

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सूत्रों के अनुसार, सीबीआई द्वारा जल्द ही केन्द्रीय मंत्री विलासराव देशमुख से भी बातचीत किए जाने की संभावना है क्योंकि उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान भी आदर्श संबंधी मामले में कुछ कार्रवाई हुई थी.

सीबीआई ने इस वर्ष जनवरी में अशोक चव्हाण, कुछ सेवानिवृत सैन्य अधिकारियों तथा सरकारी अधिकारियों समेत 14 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश, जालसाजी तथा सरकारी शक्तियों के दुरूपयोग का मामला दर्ज किया था.

आदर्श घोटाले के सामने आने के बाद अशोक चव्हाण को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था. उन्हें देशमुख के स्थान पर मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था. मई में सीबीआई ने बांबे उच्च न्यायालय को बताया था कि घोटाले से देशमुख तथा शिंदे के जुड़े होने के प्रथम दृष्टया कोई सबूत नहीं हैं . एक जनहित याचिका में इन दोनों मंत्रियों के खिलाफ जांच की मांग की गयी थी.

इस मामले में सीबीआई मुंबई नगर निगम के पूर्व आयुक्त जयराज पाठक, कांग्रेस नेता के एल गिडवानी, निलंबित राज्य सूचना आयुक्त रामानंद तिवारी, शहरी विकास विभाग के पूर्व अधिकारी पी वी देशमुख तथा आदर्श सोसायटी के सचिव आर सी ठाकुर समेत कई आरोपियों से पूछताछ कर चुकी है .

इस इमारत का निर्माण कथित तौर पर रक्षा मंत्रालय की भूमि पर कई नियमों का उल्लंघन कर किया गया. मूल रूप से यह एक छह मंजिला इमारत के रूप में बननी थी लेकिन बाद में इसे बिना अनुमति के 31 मंजिल तक बढ़ा दिया गया.

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