महाराष्ट्र के खैरलांजी में चार दलितों की हत्या मामले में बुधवार को भंडारा की फास्ट ट्रैक अदालत ने 6 दोषियों को फांसी तथा दो को उम्रकैद की सजा सुनाई है. सरकारी वकील उज्जवल निकम ने सभी दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की थी, जबकि बचाव पक्ष के वकील ने दलील दी थी कि दोषी करार दिए गए लोग पेशेवर हत्यारे नहीं हैं इसलिए उन्हें रियायत दी जाए.
भंडारा के खैरलांजी में लगभग दो साल पहले एक दलित परिवार के चार सदस्यों की हत्या की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. 29 सितंबर 2006 को उन्मादी भीड़ ने दलित किसान भैयालाल भूटमांगे के घर पर हमला कर उनके परिवार के चार सदस्यों की हत्या कर दी थी.
इस घटना को सभी पार्टियों ने राजनीतिक रंग देने की कोशिश की थी. राज्य सरकार ने इस घटना की जांच स्थानीय पुलिस से राज्य के अपराध अन्वेषण विभाग को सौंप दी और उसके बाद इस मामले को सीबीआई के सुपुर्द करने के आदेश जारी कर दिए.
सीबीआई ने इस मामले में 27 दिसंबर 2006 को न्यायाधीश एस एस दास के सामने आरोपपत्र पेश किया. लेकिन इस घटना का कोई भी चश्मदीद गवाह न होने की वजह से कोर्ट से कोई सफलता नहीं मिली. ट्रायल कोर्ट में इस घटना के आने के बाद 74 लोगों के बयान दर्ज किए गए. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अब जा कर कोर्ट ने अपना अंतिम फैसला सुनाया है.