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आर्डिनेंस फैक्ट्रियों में उत्पादन थमा, 30 दिन की हड़ताल पर कर्मचारी

भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एमपी सिंह ने बताया कि इस हड़ताल में लेफ्ट हो या राइट सभी मजदूर संगठन भाग ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि मंगलवार से आर्डिनेंस फैक्ट्रियों में उत्पादन थम गया है. क्लास वन के अफसरों को छोड़कर कोई भी कर्मचारी मंगलवार से एक महीने तक कारखाने में नहीं घुसेगा.

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पश्चिम बंगाल स्थित राइफल फैक्ट्री ईशापुर (फाइल फोटो)
पश्चिम बंगाल स्थित राइफल फैक्ट्री ईशापुर (फाइल फोटो)

  • निजीकरण के खिलाफ हड़ताल पर 41 ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के वर्कर
  • हड़ताल में संघ से जुड़े मजदूर संगठन भी शामिल
  • 30 दिनों तक रहेंगे हड़ताल पर

सेना के लिए गोला-बारूद तैयार करने वाले देश के 41 आयुध कारखाने (ऑर्डिनेंस फैक्ट्री) में काम करने वाले कर्मचारी मंगलवार से हड़ताल पर हैं. ये कारखाने सरकार की निजीकरण की कोशिशों का विरोध कर रहे हैं.  इन आयुध कारखानों में लगभग 1 लाख 45 हजार कर्मचारी काम करते हैं. इस हड़ताल में आरएसएस से जुड़े मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ का घटक भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ भी शामिल है. रिपोर्ट के मुताबिक मजदूर संगठनों की रणनीति एक महीने तक उत्पादन ठप करने की है.

 भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एमपी सिंह ने आजतक डॉट इन को फोन पर बताया कि इस हड़ताल में लेफ्ट हो या राइट सभी धड़ों के मजदूर संगठन भाग ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि मंगलवार से आर्डिनेंस फैक्ट्रियों में उत्पादन थम गया है. क्लास वन के अफसरों को छोड़कर कोई भी कर्मचारी मंगलवार से एक महीने तक कारखाने में नहीं घुसेगा. अगर बीच में सरकार बातचीत के जरिए मामला सुलझाती है तभी एक महीने की हड़ताल थम सकती है, नहीं तो संघर्ष जारी रहेगा.

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सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने 41 ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के साथ 16 अन्य संबद्ध कंपनियों का निजीकरण करने के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की अनुमति लेने की तैयारी की है. सरकार का विचार है कि निजीकरण से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. इसके नतीजे में देश को अच्छा काम और अच्छी क्वालिटी का आयुध भी मिलेगा. इससे पहले भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के महासचिव मुकेश सिंह ने कहा था कि सरकार की ओर से आयुध कारखाने के निजीकरण की कोशिशें उस आश्वासन का उल्लंघन है, जो पूर्व में सरकार की ओर से दी गई थीं.

रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र ने आर्म्स रूल्स, 2016 के जरिए हथियारों के निर्माण में निजी क्षेत्र के भी उतरने का रास्ता तैयार कर रही है. ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के निजीकरण की कोशिशों को सरकार की इन्हीं कोशिशों से जोड़कर देखा जा रहा है.

18 जुलाई को दिल्ली में सरकार ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के निजीकरण के संबंध में मीटिंग की थी. इस मीटिंग में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के चेयरमैन सौरभ कुमार भी शामिल थे. मजदूर संगठनों को इस मीटिंग की भनक जैसे ही मिली थे वे आक्रोशित हो गए और आंदोलन पर उतारु हो गए.

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