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इन 10 वजहों से घट रही है बाघों की आबादी

पिछले 7 महीनों में देश में 41 बाघों की मौत हो चुकी है. पिछले साल भी 64 बाघ मारे गए थे. सबसे ज्यादा 15 तमिलनाडु में और 14 मध्य प्रदेश में. 2013 में 63 बाघ मारे गए थे. सरकार के बाघों के संरक्षण के तमाम प्रयासों के बावजूद आखिर बाघ कम क्यों हो रहे हैं, 10 वजहें:

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पिछले 7 महीनों में देश में 41 बाघों की मौत हो चुकी है. पिछले साल भी 64 बाघ मारे गए थे. सबसे ज्यादा 15 तमिलनाडु में और 14 मध्य प्रदेश में. 2013 में 63 बाघ मारे गए थे. सरकार के बाघों के संरक्षण के तमाम प्रयासों के बावजूद आखिर बाघ कम क्यों हो रहे हैं, 10 वजहें:

1. वन क्षेत्र घटा : वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 8 साल में बाघों का वन क्षेत्र 1803 वर्ग किमी घट गया. 2006 में यह 93,697 वर्ग किमी था और 2014 में 92,164 रह गया.
2. रहने की जगह कम हुई : 1997 से 2002 के बीच पांच साल में ही देश में 28 टाइगर रिजर्व में से 21 में करीब 250 वर्ग किलोमीटर इलाका कम हो गया. इससे बाघों की ब्रीडिंग बुरी तरह प्रारभावित हुई.
3. बेकाबू शिकार : बाघों की हड्डियों से दवाइयां बनती हैं. चीन, वियतनाम और म्यामांर जैसे देश इनके बड़े खरीदार हैं. बाघों की हड्डियों और खाल का अंतरराष्ट्रीय बाजार 32 अरब डॉलर से ज्केयादा का है.
4. जेनेटिक डाइवर्सिटी : यानी आनुवांशिक विविधता की कमी. इस पर मई 2013 में अपनी तरह की पहली रिपोर्ट आई थी. इसमें बाघ घटने का कारण उनके मेटिंग पार्टनर में वैरायटी न होना बताया गया.
5. मैन-एनिमल कंफ्लिक्ट : सुरक्षित माने जाने वाले टाइगर रिजर्व रिहायशी बस्तियों के पास आते जा रहे हैं. इससे बाघों के रिहायशी इलाकों में घुसने और फिर मारे जाने के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं.
6. छोटी सजा, कम जुर्माना : टाइगर रिजर्व के बाहर किसी के पकड़े जाने पर अधिकतम 3 साल की जेल और 25,000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है. जबकि एक बाघ की हड्डियां ही 30 लाख में बिक जाती हैं.
7. टाइगर टूरिज्म : राज्यों का खजाना भरने में इसकी अहम भूमिका है. सड़कें बनाने और पर्यटकों को दूसरी सुविधाएं देने के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं. बाघों के रहने की जगह कम हुई है और बाघ घट रहे हैं.
8. ग्लोबल वार्मिंग : बढ़ते तापमान से बाघों के बीमार होने की आशंका बढ़ी. पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) बिगड़ा. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2080 तक इकोसिस्टम क्लाइमेट चेंज की भेंट चढ़ चुका होगा.
9. नाकाम प्रोजेक्ट : 1973 में शुरू हुआ 'प्रोजेक्ट टाइगर' बाघ संरक्षण का सबसे बड़ा प्रयास है. पर 2010 तक 38 साल में बाघों की संख्या 1827 से घटकर 1000 रह गई. नई गणना भी सवालों के घेरे में है.
10. इच्छाशक्ति की कमी : द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल सरकार जो 101 कोल ब्लॉक नीलामी करने वाली है, उनमें से 35 बाघों के लिए संरक्षित इलाकों में हैं. सरकार की इच्छाशक्ति जाहिर है.

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