पहले NSA स्तर की वार्ता का टूट जाना और अब सबकुछ कश्मीर मुद्दे पर आकर ठहर जाना. फिर पाकिस्तान के रक्षा मंत्री का ये कहना कि अगर भारत हम पर युद्ध थोपता है, तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. अब सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह का ये कहना कि पाकिस्तान की बदली हुई रणनीति के मद्देनजर हमारी सेनाओं को निकट भविष्य में छोटी लड़ाइयों के लिए तैयार रहना चाहिए. क्या इसके मायने इस तरह निकाले जा सकते हैं कि भारत और पाकिस्तान पांचवे युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं. हालांकि, इससे पहले 1948, 1965, 1971 और 1999 के करगिल युद्ध में पाकिस्तान को हार का मुंह ही देखना पड़ा है. लेकिन फिर अब वैसी ही स्थिति बन रही है. आइए इस पूरे मामले को समझने की कोशिश करते हैं 10 संकेतों के साथ...
1. NSA वार्ता रद्द होना
रूस के उफा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच वार्ता बहाली की जो सहमति बनी थी. उसके बाद तय हुआ था कि 23 अगस्त को NSA स्तर की वार्ता होगी. लेकिन पाकिस्तान की ओर से कश्मीरी अलगाववादियों को निमंत्रण भेजे जाने के मसले ने तूल पकड़ लिया और दोनों देशों की वार्ता रद्द हो गई.
2. सबकुछ कश्मीर पर आकर ठहर जाना
NSA वार्ता टलने का सबसे स्याह पक्ष ये रहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच सबकुछ कश्मीर के मुद्दे पर आकर ठहर सा गया लगता है. पाकिस्तान ने कश्मीरी अलगाववादियों को निमंत्रण वापस लेने से इनकार कर दिया तो भारत ने साफ कर दिया कि कश्मीर को छोड़कर वह केवल आतंकवाद के मसले पर वार्ता करेगा . यहां से आगे की राह मुश्किल लगती है क्योंकि दोनों देशों ने कश्मीर पर अपनी-अपनी सीमाएं तय कर ली है.
3. पाकिस्तानी रक्षा मंत्री और सुरक्षा सलाहकार की धमकी
NSA वार्ता टूटने के बाद पाकिस्तान की ओर से लगातार धमकी भरे बयान सामने आए. इससे साफ लगता है कि वार्ता टूटने के बाद पाकिस्तान को भारत की ओर से आतंकी कैंपों को नष्ट करने के लिए कार्रवाई का डर सता रहा है. पहले पाकिस्तान के सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज ने भारत को धमकी दी फिर वहां के रक्षा मंत्री ने धमकी दी कि अगर भारत हम पर युद्ध थोपता है तो उसे भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
4. गोलीबारी पर राजनाथ सिंह का सख्त बयान
NSA वार्ता में भारत की ओर से आतंकवाद के साथ-साथ बार-बार हो रहे सीजफायर उल्लंघन का मामला भी उठाया जाने वाला था लेकिन वार्ता टूटने के बाद अब भारत के पास सीमापार से फायरिंग का जवाब फायरिंग से देना ही एकमात्र विकल्प रह गया है. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा पर तैनात सुरक्षाबलों को स्पष्ट संदेश दिया कि पहले गोली मत चलाओ, लेकिन अगल उुधर से गोली चलती है, तो फिर गोलियों की गिनती मत करो. ये बयान भी दोनों देशों के बीच तल्ख होते रिश्तों को बयान करता है.
5. सेना प्रमुख का ताजा बयान
पाकिस्तान की ओर से लगातार धमकियों के बीच मंगलवार को सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह ने सैनिकों को साफ-साफ कहा कि सीमा पार से बढ़े घुसपैठ और आतंकवाद की लगातार कोशिशों के बीच निकट भविष्य में छोटी लड़ाइयों के लिए तैयार रहना होगा. इस बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आतंकवाद के खिलाफ अगर पाकिस्तान का ढुलमुल रवैया जारी रहा तो भारत पाकिस्तान के इलाकों में मौजूद आतंकी कैंपों को नष्ट करने के लिए सीमित कार्रवाई कर सकता है.
6. अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आशंकाए
वार्ता टूटने, सीमा पर लगातार गोलीबारी बढ़ने और दोनों की ओर से आ रहे तल्ख बयानों को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी चिंतित है. चीन ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है. साथ अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुसैन राइस ने पाकिस्तान का आपात दौरा कर वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात की. भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के चिंता की एक और बात है. वह है पाकिस्तान में आतंकियों के हाथ परमाणु हथियारों के लग जाने की आशंकाएं.
7. सीमा पर लगातार अशांति बढ़ना
इस साल पाकिस्तान की ओर से 240 बार सीजफायर तोड़ा गया है. केवल अगस्त महीने में 55 बार सीजफायर तोड़े जाने की घटना हुई. पिछले दो हफ्ते में सीमा पार से
हुई फायरिंग में जम्मू-कश्मीर के सीमा इलाकों में तीन आम लोगों की मौत हुई जबकि नौ घायल हुए. 15 अगस्त पर भी पाकिस्तान की ओर से भारत के इलाकों में
फायरिंग की गई थी. रूस के उफा में 10 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के बीच मुलाकात होने के बाद पाकिस्तान ने 95 बार सीजफायर तोड़ा है.
8. मुंबई हमलों में न्यायिक प्रक्रिया का ठहर जाना
मुंबई हमलों के आरोपियों के खिलाफ पाकिस्तान की अदालतों में कार्रवाई से भी भारत को कम ही उम्मीदें हैं. लखवी समेत तमाम आरोपियों के खिलाफ अदालत में पाकिस्तानी एजेंसियों की ओर से लापरवाह स्थिति अपनाई गई. ऐसे में भारत को मुंबई हमलों के साजिशकर्ताओं के खिलाफ पाकिस्तान से किसी न्याय की उम्मीद अब कम ही है.
9. पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति
हाल के दिनों में पाकिस्तान के अंदर खराब हुई स्थिति भी युद्ध की ओर उसे ले जाने के संकेत कर रही है. तालिबान समेत तमाम आंतकी संगठन एक तरफ जहां पाकिस्तान के बाहर साजिश को अंजाम देने के साथ-साथ देश के अंदर ही लगातार हमले कर रहे हैं. क्वेटा में लगातार आत्मघाती बम धमाके हो रहे हैं. इसके अलावा बलुचिस्तान में कबायली लड़ाकों के खिलाफ सेना के अभियान के बाद वहां लड़ाई तेज होती जा रही है. इतिहास पर अगर नजर डालें को जब भी पाकिस्तान आंतरिक संकट से जूझने लगता है तो उबरने के लिए भारत पर युद्ध थोपने की नीति अपनाता है. हालांकि, अब तक के चारों युद्ध 1948, 1965, 1971 और 1999 के करगिल युद्ध में पाकिस्तान को हार का मुंह ही देखना पड़ा है.
10. भारत सरकार पर बढ़ता दबाव
भारत सरकार के लिए भी मुश्किल समय है. वार्ता के टेबल पर आने से बचने के लिए पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे का सहारा ले रहा है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत इस मुद्दे को ले जा नहीं सकता क्योंकि वह लगातार द्विपक्षीय तौर पर समाधान की बात करता है. मुंबई हमलों समेत तमाम आतंकी हमलों के साजिशकर्ता पाकिस्तान में संरक्षण पाए हुए हैं और पाकिस्तान इसे मानने को तैयार नहीं. सीमा पार से लगातार गोलीबारी जारी है और पाकिस्तान उल्टा भारत ही आरोप लगता है. ऐसे में भारत में सरकार पर जनता का दबाव बढ़ रहा है कि पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए. ऐसे में निकट भविष्य में भारत सरकार को पाकिस्तान में मौजूद आतंकी तत्वों और दाऊद इब्राहिम जैसे तत्वों के खिलाफ सीमित कार्रवाई करनी पड़ सकती है. सेना प्रमुख का बयान इसी स्थिति की ओर इशारा कर रहा है.