नागौर में रेप की शिकार हुई ढाई साल की बच्ची पांच महीने से शरीर से बाहर निकली आंतों के साथ जीवन जी रही है. अभिभावक लगातार सरकार से मदद की गुहार कर रहे हैं, लेकिन आलम ये है कि सरकार बच्ची को पूरा इलाज तक नहीं मुहैया करा रही है.
दैनिक भास्कर में छपी खबर के मुताबिक इस गरीब परिवार के पास गांव से बाहर शहर जाकर इलाज कराने के भी पैसे नहीं हैं. घटना के बाद गांववालों की आठ हजार रुपये की मदद से बच्ची का इलाज जयपुर के एसएमएस अस्पताल में हुआ था. डॉक्टरों का कहना है कि रेप के कारण बच्ची के अंदरूनी अंग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. शरीर के अंदर की गंदगी को बाहर निकालने के लिए डॉक्टरों ने छोटी आंत को बाहर निकालकर एक वैकल्पिक रास्ता बनाया है, लेकिन ऐसी लंबे समय से इसी स्थति में रहने के कारण शरीर में संक्रमण का खतरा बन गया है.
बच्ची के अभिभावक पांच महीनों से मदद के लिए सरकारी दफ्तरों में चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई इनकी मदद नहीं कर रहा है. बच्ची का इलाज कर रहे डॉक्टर का कहना है, 'रेप के कई मामलों में बच्ची की हालत गंभीर हो जाती है. ऐसे में जान बचान के लिए डॉक्टर आंत को कुछ समय के लिए बाहर निकाला जाता है, इसे कोलोस्टॉमी कहते हैं. घाव भरने के बाद आंत को दोबारा पेट में शिफ्ट कर दिया जाता है. तब तक आंत पेट के बाहर रहती है. तीन महीने तक अगर आंत को बाहर ही रखा जाए तो संक्रमण का खतरा हो जाता है.' डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह के मामलों में तुरंत उपचार और अच्छी देख-रेख की जरूरत है.'