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'राजस्थान के गवर्नर का संविधान', सत्र बुलाने की शर्त पर कांग्रेस ने कसा तंज

राजस्थान में विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल ने राज्य सरकार को 21 दिन पहले नोटिस की बात कही है. इस पर कांग्रेस ने कहा कि राजस्थान और मध्य प्रदेश के राज्यपाल का संवैधानिका नियम अलग अलग हो जाता है.

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कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला (फोटो-आजतक)
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला (फोटो-आजतक)

  • राजस्थान में सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस
  • ''राजस्थान, MP के गवर्नर का संविधान अलग अलग'

राजस्थान में विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्र ने संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा है कि गहलोत सरकार को इसके लिए पहले 21 दिन का नोटिस देना चाहिए. साथ ही विधानसभा सत्र के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के मापदंडों का पालन और विश्वास मत परीक्षण की स्थिति में कुछ शर्तों का पालन करने को कहा है. इस पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया जाहिर की है.

कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया, 'राजस्थान में गवर्नर का संविधान- 21 दिन की पूर्व सूचना पर ही सत्र आहूत करने की अनुमति. मध्य प्रदेश में गवर्नर का संविधान- रात 1 बजे चिट्ठी लिखकर (6 घंटों में) सुबह 10 बजे सत्र बुलाने का निर्देश. सरकार गिराने के बाद ही लॉकडाउन की घोषणा. सत्य बनाम सत्ता.'

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असल में, राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच शुरू हुई सियासी लड़ाई अब राज्यपाल और कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच चुकी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोरोना संकट को लेकर विधानसभा सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन वहीं राज्यपाल ने अब इसके लिए तीन शर्तें रख दी हैं.

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राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का सत्र बुलाने का कैबिनेट का संशोधित प्रस्ताव कुछ बिंदुओं के साथ सरकार को वापस भेजा है. राज्यपाल ने कहा है कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है. साथ ही राजभवन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि राजभवन की विधानसभा सत्र न बुलाने की कोई भी मंशा नहीं है.

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राजभवन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि विधानसभा सत्र 21 दिन का स्पष्ट नोटिस देकर बुलाया जाए. संवैधानिक तौर तरीकों के अनुसार विधानसभा का सत्र बुलाए जाने को लेकर राज्यपाल ने कैबिनेट का संशोधित प्रस्ताव कुछ बिंदुओं के साथ गहलोत सरकार को वापस भेजा है.

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