राजस्थान में बेरोजगार लंबे समय तक सड़कों पर संघर्ष करते रहे तो सरकार ने कहा कि जल्द ही मामलों को सुलझाकर नौकरी दी जाएगी. उपचुनाव बीत गए और फिर कोरेाना वायरस आ गया और अब जब कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ी तो बेरोजगार फिर से सड़कों पर हैं और सरकार को तलाश रहे हैं.
नौकरी की मांग कर रहे लोगों ने जयपुर के बजाज नगर के विधायक निवास के बाहर प्रदर्शन किया. अलग-अलग टोलियों में आए बेरोजगारों ने विधायकों के यहां जाकर अपनी पीड़ा बताई. इन बेरोजगारों में मंजू, प्रियंका, अनीता आदि ढेरों नाम शामिल हैं. ये तीनों अनुसूचित जाति वर्ग से आती हैं.
तीनों ने 2016 में भी और 2018 में भी टीचर भर्ती परीक्षा पास की थीं. दोनों ही बार अलग-अलग जगह पर ज्वाइनिंग लेटर तक भी जारी हो गया. तीनों के पति बेरोजगार हैं. अभी तक इनके पास इस तरह की 80 महिलाओं की लिस्ट है, जो पड़ोसी राज्यों से शादी करके आई थीं और परीक्षा पास करने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही.
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हरियाणा से शादी करके आईं ओलंपियन कृष्णा पूनिया राजस्थान में विधायक हैं, लेकिन हरियाणा से शादी कर राजस्थान आने वालीं लड़कियों को 2 राज्यों का बताकर नौकरी नहीं मिली. कांग्रेस विधायक का कहना है कि बाकी वर्गों से आने वाली महिलाओं को छूट दी गई है, लेकिन एससी/एसटी को नहीं दी जा रही. वहीं, स्कूल व्याख्याता की परीक्षा पास करने वाले बेरोजगार भी प्रदर्शन कर रहे हैं.
इनका कहना है कि 2018 में राजस्थान सरकार ने पांच हज़ार स्कूल व्याख्याता की भर्ती निकाली थी, मगर 2019 में आर्थिक आधार पर सवर्णों का आरक्षण लागू कर दिया गया और इसमें पांच हजार पदों में से 689 पदों पर उन्हें आरक्षण देकर भर्ती कर लिया गया और जिन छात्रों ने परीक्षा पास की थी वे वेटिंग में ही रह गए.