मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच के झगड़े को सुलझाने के लिए कांग्रेस आलाकमान की कोशिश जारी है. हालांकि यह मामला सुलझता नहीं दिख रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मंत्रिमंडल में नंबर 2 के मंत्री शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल ने प्रदेश प्रभारी अजय माकन के दौरे के बाद कहा कि राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत ही सब कुछ हैं. इनके अलावा कोई नहीं है. जो गहलोत चाहेंगे वही होगा.
राजस्थान में कांग्रेस विधायकों से रायशुमारी के बाद आज शनिवार को घोषणापत्र क्रियान्वयन की समीक्षा बैठक होगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज दोपहर 2 बजे मुख्यमंत्री निवास पर मैनिफेस्टो कमेटी की मीटिंग बुलायी है. चुनावी घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष छत्तीसगढ़ के मंत्री ताम्रपत्र ध्वज साहू बैठक के लिए पहुंच गएहै. इस बैठक के बाद घोषणा की जाएगी कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जनता से किये 70 फीसदी वादे ढाई साल में पूरे कर दिए हैं. यह सब इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि सचिन पायलट ने कहा था कि हमने जनता से जो वादे किए हैं वो वादे पूरे होने चाहिए.
शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया कि हमारी सरकार ने पूर्व की तरह चुनावी घोषणा पत्र को नीतिगत दस्तावेज बनाकर कार्य किया है. मुझे खुशी है कि हम घोषणा पत्र के अधिकांश वादों को पूरा करने की ओर अग्रसर हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा गठित घोषणा पत्र समिति के चेयरमैन ताम्रध्वज साहू एवं सांसद अमर सिंह रविवार को जयपुर आकर घोषणापत्र क्रियान्वयन की दूसरी समीक्षा बैठक करेंगे. पिछले वर्ष 25 सितंबर को भी घोषणा पत्र क्रियन्वन की समीक्षा बैठक हुई थी.
राजस्थान में चल रही राजनीतिक उठापटक में ऊंट किस करवट बैठेगा यह देखना बाकी है. अलग-अलग गुटों में बंटी कांग्रेस के अंदर यह कोशिश जारी है कि पार्टी हाईकमान उनकी इच्छा अनुसार फैसले ले. प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों पर कई धुरंधर नेताओं की नजरें टिकी हुई हैं.
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माना जा रहा है कि अशोक गहलोत खेमा चाहता है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार की परफॉर्मेंस का आंकलन किया जाए. राजस्थान प्रभारी कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने इस सप्ताह में कई कांग्रेसी विधायकों और पदाधिकारियों से मुलाकात की है. माकन ने इशारों में बताया है कि राजस्थान में कई मंत्री अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं.
राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच में पिछले साल जुलाई में राजनीतिक विवाद शुरू हो गया था. सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य विधायक, अशोक गहलोत नेतृत्व के खिलाफ बागी हो गए थे और राजस्थान छोड़कर चले गए थे. गहलोत और पायलट के बीच जारी घमासान पर गांधी परिवार के हस्तक्षेप के बाद ही विराम लगा था.