परिवारवाद को लेकर कांग्रेस पर लगातार हमला बोलने वाली बीजेपी के उम्मीदवारों की सूची देखकर लोग कह रहे हैं कि बीजेपी ने तो राजस्थान विधानसभा चुनाव में परिवारवाद को बढ़ावा देने के नाम पर इस बार सारी हदें ही पार कर दी है.
बीजेपी ने उम्रदराज हो चुके उम्मीदवारों के टिकट काटने की मजबूरी में ऐसे-ऐसे लोगों को टिकट दे दिए जिन्हें राजनीति का ककहरा तक नहीं आता, लेकिन उन्हें जीतने की उम्मीद बस इसी बात पर टिकी है कि बाप के नाम का सहारा मिल जाएगा तो निकल जाएंगे.
टिकट मिला तो निकलीं बाहर
बीजेपी ने कोलायत सीट से पूनम कंवर को प्रत्याशी बनाया है. कोलायत के दमदार बीजेपी नेता देवी सिंह भाटी की जगह पार्टी ने उनकी बहू को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है. पूनम कभी घर से नहीं निकलीं इसलिए घूंघट उठाया नहीं. अब ससुर की जगह उन्हें टिकट मिल गया तो घर से निकलने की मजबूरी हो गई है, इसलिए घूंघट में ही निकलना पड़ रहा है.
दरअसल, देवी सिंह भाटी कोलायत सीट से दमदार नेता रहे हैं लेकिन पिछली बार वह हार गए तो कह दिया कि अब आगे और चुनाव नहीं लड़ेंगे. उनके दोनों बेटों की हादसे में मौत हो गई है, इसलिए घर में कोई बचा नहीं तो बहु को ही टिकट दिलवा दिया. घूंघट के अंदर से बात करते हुए पूनम कंवर ने कहा कि घूंघट राजपूत महिलाओं की प्रथा है, लेकिन इससे काम करने में कोई दिक्कत नहीं होगी.
लोकसभा में हारे फिर भी मिला टिकट
पूनम कंवर के अलावा केंद्रीय मंत्री रहे सांवरलाल जाट के बेटे को रामस्वरुप लांबा को बीजेपी ने नसीराबाद विधानसभा सीट से उतारा है. सांवरलाल जाट की मौत हो गई तो उन्हें अजमेर लोकसभा का टिकट दे दिया. एक लाख से ज्यादा से हारे लेकिन पिता की सीट पर पार्टी ने फिर से उतार दिया है.
रामस्वरुप लांबा को टिकट क्यों दिया गया है जबकि उन्हें एक लाइन ढंग बोलने नहीं आता. सवाल पूछे जाने पर वह इधर-उधर झांकने लगते हैं. कोई कभी बगल में खड़ा कान में बताता है तो कभी पड़ोस में खड़े व्यक्ति से पूछ लेने की बात करते हैं.
15 रिश्तेदारों को टिकट
इनके अलावा जोधपुर शहर से बीजेपी ने 6 बार के विधायक रहे कैलाश भंसाली के भतीजे अतुल भंसाली को टिकट थमा दिया है. चाचा बूढ़े हो गए तो भतीजे मैदान में आ गए. दूर-दूर तक जनता से कोई रिश्ता नहीं है इसलिए भगवान के सहारे नैया पार लगाने के लिए गणेश मंदिर का चक्कर लगाने लगे हैं. अतुल भंसाली से जब पूछा गया कि क्यों टिकट मिल गया तो उन्होंने कहा कि पापा और चाचा 40 वर्षों से राजनीति में थे इसलिए हम भी आ गए.
बीजेपी ने 131 उम्मीदवारों की जो पहली सूची जारी की जिसमें 25 मौजूदा विधायकों के टिकट कांटे थे, लेकिन 15 नेताओं के बेटे और रिश्तेदारों को उनके जगह टिकट दी. सार्दुल शहर से बीजेपी के विधायक गुर्जंट सिंह के पोते गुरबीर सिंह पहाड़ को टिकट दिया गया है.
डीग-कुम्हेर से दिगंबर सिंह के बेटे शैलेश सिंह को, नसीराबाद से सांवरलाल जाट के बेटे रामस्वरूप लांबा को, रवायत से देवी सिंह भाटी की पुत्रवधू पूनम कंवर को, सपोटरा से किरोड़ीलाल मीणा की पत्नी गोलमा को, शाहपुरा से सुंदरलाल के बेटे कैलाश चंद्र मेघनाथ को, प्रतापगढ़ से नंदलाल मीणा के बेटे हेमंत मीणा, मुमडावर से धर्मपाल चौधरी के बेटे मनजीत चौधरी, बामनवास से कुंजी लाल मीणा के बेटा राजेंद्र मीणा ,सादुलपुर से कमला कस्वा की जगह उनके पति राम सिंह कस्वा को बीजेपी ने मैदान में उतारा है.
लेकिन कुछ उम्मीदवार ऐसे भी हैं जिनके बेटे-बेटी नहीं है या फिर परिवार में टिकट लेने वाला कोई नहीं है. ऐसे में 80 साल से ऊपर के बुजुर्ग नेता को ही टिकट दे दिया गया है जिन्हें अब ठीक से चला भी नहीं जाता. जोधपुर के सूरसागर से सूर्यकांता व्यास और शाहपुरा से कैलाश मेघवाल है जिन्हें बुढ़ापे में भी इसलिए उतार दिया क्योंकि क्षेत्र में दूसरा जीतने लायक उम्मीदवार उन्हें नहीं मिला.