राजस्थान विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है. अलग-अलग राजनीतिक दल जमकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश में घूमकर राजस्थान गौरव यात्रा की है, जबकि कांग्रेस संकल्प रैली के जरिए जनता के बीच पहुंची है.
दौसा जिला
राजस्थान के उत्तर-पूर्वी हिस्से में बसा दौसा जिला, अलवर-करौली और सवाई माधोपुर से घिरा है. यह जिला जयपुर संभाग के अंतर्गत आता है. 1991 से पहले यह जयपुर जिले का हिस्सा था. रीजन के लिहाज से देखा जाए तो यह ढूढांड़ के अधीन आता है. यहां कभी चौहान राजा का राज हुआ करता था. आजादी की लड़ाई में यहां के कई लोगों ने हिस्सा लिया. उन्हीं में एक टीकाराम पालीवाल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने. राम करण जोशी के रूप में देश को पहला पंचायती राज मंत्री भी दौसा से ही मिला. जिले की आबादी 16 लाख 34 हजार है.
जिले का चुनावी समीकरण
यहां कुल 5 विधानसभा सीट हैं, जिनमें से 3 बीजेपी के पास हैं, जबकि 2 सीटों पर नेशनल पीपुल्स पार्टी का कब्जा है. 2013 के चुनाव में जिले में कुल 9,26,530 वोटर्स थे, जिनमें से 6,85,805 लोगों (74%) ने अपने मतों का इस्तेमाल किया था. जिले की तीन सीट सामान्य वर्ग के लिए हैं, जबकि 1-1 सीट अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षति है. जिले में करीब मुस्लिम आबादी 3 फीसदी से भी कम है.
दौसा सीट
यह सीट सामान्य वर्ग के लिए है और दौसा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 3 लाख 19 हजार है, जिसमें 22 फीसदी एससी आबादी है, जबकि 26 फीसदी आबादी एसटी है. बीजेपी के शंकर लाल शर्मा यहां से मौजूदा विधायक हैं. जबकि दौसा लोकसभा से बीजेपी के हरीश चंद्र मीणा सांसद हैं.
2013 चुनाव का रिजल्ट
शंकर लाल शर्मा (बीजेपी)- 65,904 (47%)
मुरारी लाल मीणा (कांग्रेस)- 40,732 (29%)
लक्ष्मी जायसवाल (NPEP)- 24,951 (18%)
2008 चुनाव का रिजल्ट
मुरारी लाल मीणा (BSP)- 43,387 (38%)
राम अवतार चौधरी (कांग्रेस)- 42,285 (37%)
बाबू लाल शर्मा (बीजेपी)- 24266 (21%)
विधानसभा का समीकरण
राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं. इनमें 142 सीट सामान्य, 33 सीट अनुसूचित जाति और 25 सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसने 163 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि कांग्रेस 21 सीटों पर सिमट गई थी. बहुजन समाज पार्टी को 3, नेशनल पीपुल्स पार्टी को 4, नेशनल यूनियनिस्ट जमींदारा पार्टी को 2 सीटें मिली थीं. जबकि 7 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे.