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राजस्थानः टाइगर की दहाड़ से पहली बार गूंजा मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व

राजस्थान के कोटा स्थित मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व सेंचुरी लंबे इंतजार के बाद आखिरकार बाघ की दहाड़ से गूंज उठा. मंगलवार को टाइगर रिजर्व के पहले मेहमान टी 91 की शिफ्टिंग की गई और पांच साल का लंबा इंतजार खत्म हो गया.

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टाइगर की दहाड़ से गूंजा मुकंदरा
टाइगर की दहाड़ से गूंजा मुकंदरा

राजस्थान के कोटा स्थित मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व सेंचुरी लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मंगलवार को बाघ की दहाड़ से गूंज उठा. मंगलवार को टाइगर रिजर्व के पहले मेहमान टी 91 की शिफ्टिंग की गई और पांच साल का लंबा इंतजार खत्म हो गया. इसको साल 2013 में टाइगर रिर्जव घोषित किया गया था. मंगलवार दोपहर 12:48 बजे इस रिजर्व के पहले टाइगर टी- 91 ने अपना पहला कदम दरा क्षेत्र में बने एनक्लोजर में रखा.

रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से टेरेटरी न बन पाने के कारण 20 नवंबर से बाघ टी-91 रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभ्यारण के घने जंगलों में घूम रहा था. इसकी सुरक्षा को ध्यान में रखकर मंगलवार सुबह साढ़े चार बजे खटकड़ के पास से इसको ट्रेंकुलाइज कर मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया. वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों की टीम ने बाघ को पूरी तरह बेहोश होने के बाद स्ट्रेक्चर पर रखा और पिंजरे में शिफ्ट कर दिया.

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इसके थोड़ी देर बार टी-91 का बीपी चैक कर ब्लड सैम्पल लिए गए. पूरी तरह होश आने के बाद करीब सात बजे टी-91 को कड़ी सुरक्षा के बीच 128 किलोमीटर दूर अपने नए घर मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के लिए रवाना किया गया. फिलहाल टी-91 को सॉफ्ट रिलीज के लिए बनाए गए 28 हेक्टेयर के एनक्लोजर में छोड़ा गया है. टी 91 ने अपना पहला कदम करीब 12:48 बजे मुकुंदरा में रखा. मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में 82 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में चारदीवारी बाघों और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए बनाई गई है.

मुकुंदरा में बाघों के लिए भोजन और पानी समेत सुरक्षा के माकूल इंतजाम किए गए हैं. यहां पर दो बाघिन और एक बाघ को छोड़ा जाना प्रस्तावित था, जिसमें से बाघ को छोड़ दिया गया है. हाड़ौती के वन्यजीव प्रेमियों ने बाघ को लाने के लिए प्रयासरत झालावाड़ सांसद और नेशनल स्टैंडिंग कमेटी वाइल्ड लाइफ ऑफ इंडिया के सदस्य दुष्यंत सिंह के साथ मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का आभार प्रकट किया है. इनकी वजह से ही टाइगर रिजर्व को टाइगर मिल पाया है. हालांकि मंगलवार को हुए इस रिलोकेशन से मीडिया को दूर रखा गया, लेकिन फिर भी हड़ौती के वन्यजीव प्रेमियों में बाघ के आने से बहुत खुशी है.

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