कोरोना वायरस की महामारी की दूसरी लहर राज्य-राज्य, शहर-शहर कहर बरपा रही है. अस्पताल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं. मरीजों की जान सांसत में पड़ जा रही है. हालात इतने बिगड़ गए कि कोर्ट को दखल देना पड़ गया. अब राजस्थान में भी ऑक्सीजन की कमी होती दिख रही है. राजस्थान के सरकारी और निजी अस्पतालों में जितने ऑक्सीजन की मांग है, उसका 75 फीसदी ही उपलब्ध हो पा रहा है.
राजस्थान की राजधानी जयपुर के 63 निजी अस्पतालों ने सरकार से मांग की है कि जल्दी से जल्दी ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जाए नहीं तो हमारे यहां अब मरीजों को रखना मुश्किल हो जाएगा. सरकारी अस्पतालों की हालत भी खराब होती जा रही है. अस्पतालों में बेड नहीं हैं और ऑक्सीजन की भारी कमी है. जयपुर के ईएसआई अस्पताल में गंभीर मरीज भर्ती हैं लेकिन चालीस ऑक्सीजन सिलेंडर ही उपलब्ध हैं.
बताया जाता है कि 180 ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत है. ऑक्सीजन कोरोना से लड़ाई में सांसें बचाए रखने के काम आ रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान भी राज्य में ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा उठाया.
सीएम गहलोत ने कहा कि अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था की जाए. राजस्थान के सीएम ने सूबे से अन्य राज्यों को ऑक्सीजन भेजे जाने के खिलाफ भी केंद्र सरकार को पत्र लिखा है.
यही हाल रेमडेसिविर इंजेक्शन की भी है. कई निजी अस्पताल के मालिक, नेताओं ने वीडियो बनाकर वायरल किया है कि किस तरह से उनके अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी है. जयपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी नरोत्तम शर्मा ने कहा है कि हमारा कंट्रोल रूम हालात पर नजर रखे हुए हैं. जैसे ही अस्पतालों से ऐसी सूचना आती है कि आधे घंटे का ऑक्सीजन बचा है, हम तुरंत व्यवस्था कराते हैं.
उन्होंने कहा कि दवा के लिए भी हमने यह कह रखा है कि कंट्रोल लैब में मेल करें. इस बीच जयपुर में एक बार फिर से कोरोना विस्फोट हुआ है और कोरोना के करीब चार हजार केस सामने आए हैं.