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एक हफ्ते से जमीन में गड़कर प्रोटेस्ट कर रहे किसान, पत्नियों ने वहीं मनाया करवा चौथ

इस गांव के किसानों को जमीन खाली करने के लिए नोटिस थमा रखे हैं. सरकार का कहना है कि करीब 1350 बीघा जमीन 2010 में ही कालोनी बनाने के लिए अधिगृहित की जा चुकी है. वहीं किसानों का कहना है कि सरकार उनकी जमीन को ऊंचे दामों पर बेचकर कॉलोनी बसाना चाहती है.

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किसानों ने इस तरह मनाया करवाचौथ.
किसानों ने इस तरह मनाया करवाचौथ.

राजस्थान के नींदड में जयपुर विकास प्राधिकरण के खिलाफ जमीन समाधि सत्याग्रह कर रहे किसानों ने करवाचौथ भी धरनास्थल पर मनाया. रविवार रात धरना दे रहे किसानों की पत्नियां परिवार के साथ धरनास्थल पर पहुंची और चांद देख पतियों के हाथ से पानी पीकर व्रत खोला.

मालूम हो कि जेडीए को किसान जमीन नहीं देना चाहते हैं. इसीलिए वो 2 अक्टूबर से जमीन समाधि सत्याग्रह कर रहे हैं. इस गांव के किसानों को जमीन खाली करने के लिए नोटिस थमा रखे हैं. सरकार का कहना है कि करीब 1350 बीघा जमीन 2010 में ही कालोनी बनाने के लिए अधिगृहित की जा चुकी है. वहीं किसानों का कहना है कि सरकार उनकी जमीन को ऊंचे दामों पर बेचकर कॉलोनी बसाना चाहती है.

किसान बोले- जमीन देने से अच्छा हम जान दे दें

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सरकार ने जमीन का मुआवजा नहीं लेने वाले किसानों का मुआवजा कोर्ट में जमाकर बेदखली की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सरकार का कहना है कि किसान कोर्ट मे जमा मुआवजा ले लें और जमीन खाली कर दें. मुआवजे की बात पर किसान कहते हैं कि हर किसान की थोड़ी-थोड़ी जमीन उनके खुद के रहने के लिए है, उसे कैसे सरकार उनसे ले सकती है. किसानों के मुताबिक जमीन देने से अच्छा है कि वो खुद ही जमीन में रह कर अपनी जान दे दें. 

किसानों के इस आंदोलन को देखते हुए सरकार बैकफुट पर है. सरकार की ओर से किसानों से कहा जा रहा है कि वो बातचीत के लिए आगे आएं. वहीं किसानों का कहना है कि बातचीत का सवाल ही नहीं है. सरकार यदि किसानों का वाकई हित चाहती है तो उनकी जमीन नहीं लेने का ऐलान करें. ऐसा नहीं होता तो किसान गड्ढों में ही गढ़े रह कर अपनी जान दे देंगे लेकिन अपनी जमीन नहीं जाने देंगे.

बता दें कि राजस्थान सरकार का जयपुर विकास प्राधिकरण भी मंदी की चपेट में है. प्रोपर्टी का बाजार बंद हुआ तो विकास का काम ठप हो गया. इसके लिए धन चाहिए तो किसानों की जमीन लेकर प्लॉट काटकर बेचने की योजना बनाई गई. लेकिन जेडीए के इस कदम के खिलाफ नींदड़ के किसान पूरी ताकत के साथ डट गए हैं.

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