अब पठानकोट के शेल्टर होम में ठहराए गए शरणार्थी भूख हड़ताल पर चले गए हैं. सब मजदूर देश के अलग-अलग हिस्सों से आए हैं. ये मजदूर जम्मू और कश्मीर जाने वाले थे. इन्हें जम्मू और कश्मीर जाने से रोक दिया गया था और पठानकोट में ठहराया गया था. मजदूरों की मांग है कि क्वारनटीन पीरियड इन्होंने खत्म कर लिया है. अब इन्हें इनके घर जाने दिया जाए.
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गौरतलब है कि देश में कोरोना मरीजों की संख्या 11933 हो गई है, जबकि 392 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं, कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन की अवधि 3 मई तक बढ़ा दी गई है. इसका ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल को किया था. लॉकडाउन की वजह से हजारों की संख्या में मजदूर अलग-अलग राज्यों में फंसे हैं और अपने-अपने घरों को लौटने की प्रतीक्षा में हैं.
महाराष्ट्र में भी परेशान हैं मजदूर
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में लॉकडाउन होने के बाद भी भारी संख्या में मजदूर इकट्ठे हो गए थे. मजदूरों की मांग थी कि उन्हें वापस उनके गृह राज्य भेजा जाए. कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ाए जाने के ऐलान के बाद सोमवार को भारी संख्या में प्रवासी कामगार मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन और ठाणे के मुंब्रा इलाके में अचानक जुटने शुरू हो गए. मजदूर लगातार सरकार से मांग करते रहे कि उन्हें घर भेज दिया जाए.
बिहार और यूपी के हैं ज्यादातर मजदूर
मुंबई की सड़कों पर अपने घर लौटने की मांग कर रहे मजदूरों में ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं. ये लोग रोजी रोटी के लिए मुंबई में रह रहे हैं, लेकिन लॉकडाउन के बाद कारोबार पूरी तरह से बंद है.
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ऐसे में इन प्रवासी मजदूरों का रोजगार छूट गया है और खाने पीने की दिक्कत सामने आ रही है. ऐसे में ये अपने घरों को वापस जाना चाहते हैं. इसीलिए मुंबई के मजदूरों के उतरने को लेकर उत्तर प्रदेश में राजनीतिक आरोप और प्रत्यारोप का दौर शुरू हो चुका है. लॉकडाउन की घोषणा फिर लॉकडाउन की डेट बढ़ाए जाने की वजह से हजारों मजदूरों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.