शायरी के जरिए लोगों का दिल जीतने वाले पद्मभूषण सरदार अंजुम ने गुरुवार को आखिरी सांस ली. मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में 71 वर्ष की उम्र में वो दुनिया को अलविदा कह गए. हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उनकी मृत्यु पर गहरा शोक जताया.
मुश्किलों से भरा था अंजुम का आखिरी वक्त
डॉ. अंजुम के करीबी माने जाने वाले साराश ने बताया कि पिछले करीब एक महीने से डॉ. अंजुम की तबीयत ज्यादा खराब थी, वह बोल नहीं पा रहे थे. अंजुम कई महीनों से गैंगरीन से पीड़ित थे जिसके चलते उनका एक पैर काटना पड़ा था. उन्हें 26 मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया और 21 जून को ब्रेन सर्जरी हुई, जिसके बाद से वह वेंटीलेटर पर थे. उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ था. अंजुम की हालत स्थिर नहीं हुई और उनका निधन हो गया.
अंजुम ने मांगी थी मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी
अंजुम ने पंजाब और हरियाणा सरकार से देश की सेवा में अहम भूमिका निभाने वाले लोगों के लिए मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी की सुविधा दिए जाने की मांग की थी. 80 के दशक में सरदार अंजुम ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को खत में एक शेर लिखा था . इसे पढ़कर इंदिरा गांधी भी उनकी शायरी की मुरीद हो गई थीं.
साहित्य में अंजुम का बड़ा था नाम
अंजुम ने अपने करीब 50 साल साहित्य को समर्पित किए थे. अंजुम को देश-विदेश में 50 से अधिक खिताबों से नवाजा गया था. इनमें मिलेनियम पीस अवार्ड, पद्मश्री, पद्मभूषण, लिटरेरी अवार्ड, पंजाब रत्न, क्लिंटन लिटरेचर एंड एजुकेशन अवार्ड शामिल हैं.
परेशानी में कटा अंजुम का आखिरी दौर
आलीशान घर, लग्जरी कार, नौकर-चाकर के साथ तमाम सुविधाओं के साथ रहने वाले मशहूर शायर पद्मभूषण सरदार अंजुम को गैंगरीन के कारण अपनी स्कोडा एकॉर्ड कार गिरवी रखनी पड़ी थी. दो महीने में हार्ट अटैक, किडनी के बाद हाई शुगर और गैंगरीन के इलाज में वह कई लाख रुपये से खर्च कर चुके थे.