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तरन-तारन उपचुनाव में अमृतपाल सिंह अहम फैक्टर, जेल में रहते हुए भी बने प्रासंगिक

कट्टरपंथी नेता अमृतपाल सिंह अप्रैल 2023 से डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं, लेकिन उनकी गैरमौजूदगी के बावजूद उनकी पार्टी "अकाली दल (वारिस पंजाब दे)" जमीनी स्तर पर सक्रिय बनी हुई है. खडूर साहिब से सांसद बनने के बाद बाढ़ राहत कैंपों के जरिए उनकी पकड़ और मजबूत हुई. अब तरनतारन विधानसभा उपचुनाव में फिर से अमृतपाल का फैक्टर सुर्खियों में है.

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अमृतपाल सिंह अप्रैल 2023 में गिरफ्तारी के बाद से जेल में हैं. (File Photo)
अमृतपाल सिंह अप्रैल 2023 में गिरफ्तारी के बाद से जेल में हैं. (File Photo)

पंजाब की राजनीति में अमृतपाल सिंह का नाम लगातार चर्चा में है. अप्रैल 2023 में गिरफ्तारी के बाद से वह डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं, लेकिन उनकी गैरमौजूदगी के बावजूद उनकी पार्टी अकाली दल (वारिस पंजाब दे) ने न केवल अपनी सक्रियता बनाए रखी बल्कि और मजबूत हुई है.

खडूर साहिब लोकसभा सीट से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार 1.94 लाख वोटों से जीत दर्ज करने वाले अमृतपाल ने 2024 चुनावों में अपनी ताकत दिखाई थी. इसके बाद भी उनके समर्थक लगातार बाढ़ प्रभावित इलाकों में मदद करते रहे.

फ़िरोजपुर, फाजिल्का और तरनतारन जिलों में 21 राहत कैंप लगाए गए, जिनमें भोजन, दवाइयां और पशुओं के लिए चारा तक वितरित किया गया. ट्रकों और कैंपों पर अमृतपाल की तस्वीरें लगीं, जो जेल में रहते हुए भी उनके नेतृत्व को दर्शाती हैं.

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अमृतपाल सिंह के पिता तरसेम सिंह ने भी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर एक महीने की पैरोल की मांग की थी, ताकि वह बाढ़ राहत कार्यों की निगरानी कर सकें. इससे साफ है कि पार्टी जनता के बीच अपनी छवि मजबूत करने में जुटी है.

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अमृतपाल की पार्टी ने अभी नहीं उतारे उम्मीदवार

अब तरनतारन विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव एक अहम परीक्षा साबित होगा. यह सीट पंथक इलाका मानी जाती है और करीब 1.94 लाख मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाएंगे. शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने सुकविंदर कौर रंधावा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि बीजेपी ने हरजीत सिंह संधू को टिकट दिया है. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अमृतपाल की पार्टी अभी अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं कर पाए हैं.

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कई पार्टियों के वोट्स में सेंध लगने की आशंका

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अमृतपाल फैक्टर 2027 के पंजाब विधानसभा चुनाव तक असर डाल सकता है. सुरक्षा एजेंसियों को यह चिंता सता रही है कि यह कट्टरपंथी धारा का प्रभाव बढ़ा सकता है, जबकि राजनीतिक दलों का मानना है कि यह शिरोमणि अकाली दल के वोट बैंक में सेंध लगा सकता है. हालांकि, कुछ का यह भी मानना है कि अमृतपाल की मौजूदगी अन्य दलों को भी नुकसान पहुंचा सकती है.

तरनतारन उपचुनाव भले ही सिर्फ़ एक सीट का मामला हो, लेकिन इसके नतीजे पंजाब की सियासत की दिशा तय करने वाले साबित हो सकते हैं.

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