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विपक्षी एकता में एक और दरार? हिंडनबर्ग पर शरद पवार के बयान ने कांग्रेस की मुश्किल बढ़ाई

असल में एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू के दौरान एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने हिंडनबर्ग की उस रिपोर्ट पर निशाना साधा है जिसमें गौतम अडानी को लेकर कई आरोप लगाए गए हैं. शरद पवार ने कहा कि उस शख्स ने पहले भी ऐसे बयान दिए थे और तब भी सदन में कुछ दिन हंगामा हुआ था. लेकिन इस बार जरूरत से ज्यादा तवज्जो इस मुद्दे को दे दी गई है.

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एनसीपी प्रमुख शरद पवार
एनसीपी प्रमुख शरद पवार

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी दलों द्वारा भी मंथन तेज कर दिया गया है. अभी तक वो खांचा तैयार नहीं हो पाया है जिसके दम पर विपक्षी एकता की नींव रखी जाएगी. अब उस बीच उस विपक्षी एकता की परिकल्पना को एक झटका लगा है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने अडानी मामले में ऐसा स्टैंड लिया है जो कांग्रेस और कई दूसरे दलों से विपरीत है. उस एक स्टैंड ने विपक्षी एकता वाली मुहिम को झटका दिया है. 

असल में एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू के दौरान एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने हिंडनबर्ग की उस रिपोर्ट पर निशाना साधा है जिसमें गौतम अडानी को लेकर कई आरोप लगाए गए हैं. शरद पवार ने कहा कि उस शख्स ने पहले भी ऐसे बयान दिए थे और तब भी सदन में कुछ दिन हंगामा हुआ था. लेकिन इस बार जरूरत से ज्यादा तवज्जो इस मुद्दे को दे दी गई है. वैसे भी जो रिपोर्ट आई, उसमें दिए बयान किसने दिए, उसका क्या बैकग्राउंड है. जब वो लोग ऐसे मुद्दे उठाते हैं जिनसे देश में बवाल खड़ा हो, इसका असर तो हमारी अर्थव्यवस्था पर ही पड़ता है. लगता है कि ये सबकुछ किसी को टारगेट करने के लिए किया गया था. 

अब शरद पवार का ये बयान उस समय आया जब सदन में 19 विपक्षी पार्टियों ने अडानी मुद्दे को जमकर उठाया भी  और मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए. उस समय शरद पवार का यूं अलग स्टैंड लेना कई तरह के सवाल खड़े कर गया है. इस समय एनसीपी विपक्ष की एक बड़ी पार्टी है, शरद पवार नेता हैं, ऐसे में उसकी अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है. महा विकास अघाड़ी में तो वो कांग्रेस के साथ खड़ी है. उस स्थिति में कांग्रेस से ही अलग स्टैंड रखना कई तरह के संकेत दे गया है.

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इस विवाद पर कांग्रेस की तरफ से भी एक बयान जारी किया गया है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि एनसीपी का अपना कोई स्टैंड हो सकता है, लेकिन 19 विपक्षी पार्टियां ये मानती हैं कि अडानी मुद्दा गंभीर है. मैं ये भी साफ करना चाहता हूं कि एनसीपी और दूसरे विपक्षी दल हमारे साथ ही खड़े हैं, सभी साथ मिलकर लोकतंत्र को बचाना चाहते हैं और बीजेपी की बंटवारे वाली राजनीति को हराना चाहते हैं. अब जयराम रमेश ने ये बयान दे तो दिया है, लेकिन अडानी मुद्दा कांग्रेस के काफी करीब है, वैसे भी इसे क्योंकि खुद राहुल गांधी ने उठाया है, इसके मायने ज्यादा हो गए हैं.

विपक्षी एकता की बात करें तो शरद पवार उसकी एक अहम कड़ी हैं. वो थर्ड फ्रंट के साथ जाएंगे या कांग्रेस वाली विपक्षी एकता का हिस्सा बनेंगे, अभी तक पत्ते नहीं खोलेंगे गए हैं. लेकिन क्योंकि महाराष्ट्र में दोनों पार्टियां साथ हैं, ऐसे में कांग्रेस जरूर चाहेगी कि शरद पवार उनके साथ आएं. लेकिन अडानी मुद्दे पर एनसीपी प्रमुख के बयान उस इच्छा को एक सियासी झटका दिया है.
 

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