
केंद्र कैबिनेट ने शुक्रवार को कई योजनाओं को मंजूरी देने के साथ-साथ 5 भाषाओं को क्लासिकल भाषा का दर्जा किया. इनमें मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली शामिल है. सरकार के इस फैसले को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है. कारण, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि उन्होंने साल की शुरुआत में पीएम मोदी से बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग की थी. ममता के इस दावे पर बीजेपी ने भी पलटवार किया है.
दरअसल, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को 11 जनवरी को लिखे पत्र की कॉपी शेयर की है. उन्होंने कहा कि बंगाली को मान्यता काफी अभावों के बाद मिली है. ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर लिखा, "यहां भारत के माननीय प्रधानमंत्री को लिखे गए मेरे पत्र (दिनांक 11 जनवरी 2024) की एक प्रति दी गई है, जिसमें मैंने केंद्र सरकार से बंगाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने की हमारी मांग को स्पष्ट किया था. हमारे तथ्य-आधारित तर्कों को अंततः भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया है. पत्र को सार्वजनिक जानकारी के लिए नीचे रखा गया है: मान्यता बहुत वंचना/इनकार के बाद मिली है."

इस पर बीजेपी नेता अमित मालवीय ने निशाना साधते हुए कहा कि ममता बनर्जी ने किसी और के काम का श्रेय चुरा लिया है. उन्होंने लिखा, "वे 2004-14 के बीच यूपीए का हिस्सा थीं. उन्होंने 2011 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का पद संभाला. 2004 में तमिल, 2005 में संस्कृत, 2008 में तेलुगु और कन्नड़ को शास्त्रीय भाषा के रूप में अधिसूचित किया गया. इन सबके बीच ममता बनर्जी ने यूपीए का हिस्सा होने के बावजूद बंगाली के लिए शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग नहीं की. बाद में, 2013 में, मलयालम को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया. ममता बनर्जी तब तक दो साल से बंगाल की मुख्यमंत्री थीं."
बीजेपी नेता ने आगे लिखा, "उन्होंने बंगाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने के लिए जोर नहीं दिया. उन्होंने 2014 में भी बंगाली के लिए शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की मांग नहीं की, जब उड़िया को शास्त्रीय भाषा के रूप में नामित किया गया था. तब तक वे तीन साल तक मुख्यमंत्री रह चुकी थीं. इन सभी वर्षों में, पहले कांग्रेस के एक भरोसेमंद सहयोगी के रूप में और बाद में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में वे बंगाली के लिए शास्त्रीय भाषा का दर्जा सुनिश्चित नहीं कर सकीं."