केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-हरियाणा सीमा सिंधु बॉर्डर पर किसान आंदोलन कर रहे हैं. किसान नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर डटे हुए हैं और पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. प्रदर्शन के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दो दिनों में किसानों की मांग पर जवाब देने की कोशिश की. उन्होंने किसानों को यह समझाने की कोशिश की है कि नए कानून कैसे कारगर हैं.
रविवार को रेडियो पर प्रसारित होने वाले 'मन की बात' में जहां पीएम ने बताया कि नए कानूनों से किसानों की परेशानी दूर होगी तो सोमवार को वाराणसी में कहा कि कुछ लोग नए कानून पर भ्रम फैला रहे हैं और इस बहकावे में आने की आवश्यकता नहीं है.
'मन की बात' में क्या कहा पीएम मोदी ने
पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में उदाहरण देकर बताया कि किसान नए कृषि कानूनों से कैसे ताकतवर हुए हैं. उन्होंने कहा कि नए कृषि कानून किसानों के हित में हैं. इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार भी मिले हैं, नए अवसर भी मिले हैं. पीएम मोदी ने कहा कि बीते दिनों हुए कृषि सुधारों ने किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं, बरसों से किसानों की जो मांग थी, जिन मांगों को पूरा करने के लिए किसी न किसी समय में हर राजनीतिक दल ने उनसे वादा किया था. वो मांगें पूरी हुई हैं.
पीएम मोदी का कहना था कि काफी विचार-विमर्श के बाद भारत की संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी ढांचा प्रदान किया था. मन की बात के जरिये किसानों को संदेश देते हुए पीएम ने कहा कि इस कानून में एक और बहुत बड़ी बात है, इस कानून में ये प्रावधान किया गया है कि क्षेत्र के एसडीएम को एक महीने के भीतर ही किसान की शिकायत का निपटारा करना होगा.
सुधारों से नए विकल्प मिले
प्रधानमंत्री ने कहा कि नए कृषि सुधारों से किसानों के लिए नए विकल्प मिले हैं. इन कानूनों में पुराने सिस्टम पर रोक लगाने की कोई व्यवस्था नहीं है. प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले मंडी के बाहर हुए लेनदेन ही गैरकानूनी थे. ऐसे में छोटे किसानों के साथ धोखा होता था, विवाद होता था. अब छोटा किसान भी मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्रवाई कर सकता है. किसान को अब नए विकल्प मिले हैं. उसे धोखे से कानूनी संरक्षण मिला है. पीएम ने पूछा कि क्या एक किसान को अपनी उपज सीधे उन लोगों को बेचने की स्वतंत्रता नहीं मिलनी चाहिए जो उन्हें बेहतर मूल्य और सुविधाएं देते हैं.
वाराणसी के मोदी ने क्या दिया भरोसा
प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को जब वाराणसी पहुंचे तो नए कानूनों के बारे में किसानों को बताने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि सरकारें नीतियां बनाती हैं, कानून-कायदे बनाती हैं. नीतियों और कानूनों को समर्थन भी मिलता है तो कुछ सवाल भी स्वभाविक ही है. ये लोकतंत्र का हिस्सा है और भारत में ये जीवंत परंपरा रही है. लेकिन लेकिन पिछले कुछ समय से अलग ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है.
पीएम ने कहा कि पहले होता ये था कि सरकार का कोई फैसला अगर किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था. लेकिन बीते कुछ समय से हम देख रहे हैं कि अब विरोध का आधार फैसला नहीं बल्कि भ्रम फैलाकर आशंकाओं को बनाया जा रहा है. अपप्रचार किया जाता है कि फैसला तो ठीक है लेकिन इससे आगे चलकर ऐसा हो सकता है. जो अभी हुआ ही नहीं, जो कभी होगा ही नहीं, उसको लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है. ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP तो घोषित होता था लेकिन इस पर खरीद बहुत कम की जाती थी. सालों तक इसे लेकर छल किया गया. किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्जमाफी के पैकेज घोषित किए जाते थे. लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक ये पहुंचते ही नहीं थे.
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पीएम ने कहा कि किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं. लेकिन वो खुद मानते थे कि 1 रुपये में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते थे. हमने कहा था कि हम यूरिया की कालाबाजारी रोकेंगे और किसान को पर्याप्त यूरिया देंगे. बीते 6 साल में यूरिया की कमी नहीं होने दी. पहले यूरिया ब्लैक में लेना होता था, यूरिया लेने आए किसानों पर लाठीचार्ज तक होता था.
गंगा घाट से दिया भरोसा-पवित्र मन से हो रहा काम
हमने वादा किया था कि स्वामीनाथ आयोग की सिफारिश के अनुकूल उत्पाद पर डेढ़ गुना दाम देंगे. हमने वादा पूरा किया. वादे की इसी ट्रैक रिकॉर्ड पर नए कृषि सुधार कानून लाए गए हैं. किसानों का दोष नही है दशकों से उन्हें छला गया है. मैं गंगा घाट और काशी के नगरी से कहना चाहता हूं छल से नहीं, पवित्र मन से काम किया जा रहा है.