संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया, जो 23 दिसंबर तक चलेगा. विपक्षी दलों ने सदन में मोदी सरकार को घेरने की जबरदस्त तैयारी की है. कृषि कानून पर चर्चा कराने और एमएसपी गारंटी कानून बनाने की मांग सहित 10 अहम मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है. हालांकि, पीएम मोदी ने संसद सत्र शुरू होने से पहले मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार हर सवाल के जवाब देने को तैयार है. संसद में सवाल होने चाहिए, लेकिन शांति भी रहे.
उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले की सियासी गहमागहमी को देखते हुए शीतकालीन सत्र में राजनीतिक दल विभिन्न मुद्दों पर मोदी सरकार को घेरने की तैयारी में है. तीनों कृषि कानून पर मोदी सरकार के बैकफुट पर आने के बाद विपक्ष को हौसले बुलंद है. इसीलिए किसानों से जुड़े हुए मुद्दों के साथ-साथ तमाम दूसरे मुद्दों को लेकर भी सरकार को घेरने की तैयारी विपक्ष ने की है.
सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने किसान आंदोलन, महंगाई, ईंधन की कीमतों में वृद्धि, बेरोजगारी, पेगासस जासूसी विवाद और लद्दाख में चीनी आक्रमण जैसे कई मुद्दों पर चर्चा कराए जाने की मांग उठाई. विपक्ष ने सदन में सरकार को विभिन्न मुद्दों पर सकारात्मक सहयोग का भरोसा भी दिलाया. वहीं, सरकार की ओर से भी विपक्षी दलों को आश्वस्त किया गया कि वह उनके सकारात्मक सुझावों पर विचार करने और नियमों के तहत चर्चा कराने को तैयार है.
1.एमएसपी पर कानून की मांग
कृषि कानून की वापसी के बाद से आंदोलन कर रहे किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी कानून बनाने की मांग पर अड़े हैं. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसानों ने केंद्र सरकार से फसलों के एमएसपी की गारंटी की मांग की है. किसानों की इस मांग पर अब विपक्ष भी उनके साथ खड़ा हो गया है. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में सभी विपक्षी दल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने की मांग को उठाएंगे.
2.कृषि कानूनों पर चर्चा की मांग
मोदी सरकार शीतकालीन सत्र में तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए सदन में विधेयक लेकर आएगी. ऐसे में खड़गे ने कहा कि विपक्ष के नेता उनसे कृषि कानूनों के बारे में पूछना चाहते थे, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि ये कानून किसी और शक्ल में वापस लाए जा सकते हैं. ऐसे में कृषि कानूनों पर चर्चा कराए जाने की मांग करेंगे.
3.मृतक किसानों के मुआवजे की मांग
एक साल से चल रहे किसान आंदोलन के दौरान करीब 700 किसानों के मरने के दावा किया जा रहा है. किसान संगठन मृतक किसान परिवारों को मुआवजे की मांग कर रहे हैं, जिसे लेकर विपक्ष भी सदन में सरकार को घेरने की तैयारी की है. खड़गे ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजन को भी मुआवजा दिया जाए.
4. मंहगाई पर सरकार को घेरेगा विपक्ष
देश में बढ़ी मंहगाई के मुद्दे पर विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ संसद में आक्रमक रुख अपनाने की चेतावनी पहले ही दे चुका है. पांच राज्यों के चुनाव को देखते हुए विपक्ष ने मंहगाई के मुद्दे पर सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर रखी है. देश में पेट्रोल-डीजल सहित जरूरी वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही है, जिससे आम लोग काफी परेशान है. ऐसे में विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को बख्शने के मूड में नहीं है.
5. कोरोना में मरने वालों को मुआवजा
विपक्ष ने सर्वदलीय बैठक के दौरान कोरोना की तीसरी लहर की आशंका का मुद्दा भी उठाया. साथ ही कोरोना महामारी के कारण जान गंवाने वालों के परिजन को चार लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की बात रखी गई. ऐसे में कोरोना से मरने वाले लोगों के परिवार को मुआवजा देने की मांग तेज हो रही है. तमाम विपक्षी दल इस बात को लगातार उठा रहे हैं.
6. पेगासस जासूसी कांड
मॉनसून सत्र की तरह शीतकालीन सत्र में विपक्ष के पेगासस स्पाईवेयर मामले पर अपना विरोध जारी रखने की संभावना है, जिसके कारण मोदी सरकार बैकफुट पर दिख रही थी. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ तकनीकी समिति नियुक्त की, ताकि विपक्ष के उन आरोपों की जांच हो सके कि सरकार ने पेगासस की मदद से राजनेताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों पर जासूसी की. मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना नॉटिंग की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि जासूसी के आरोप गंभीर थे और सच्चाई सामने आनी चाहिए, पैनल को अपनी रिपोर्ट जल्द पेश करने के लिए कहा था.
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 पर संसद की संयुक्त समिति की एक रिपोर्ट भी सत्र के दौरान दोनों सदनों में पेश की जाएगी. नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए लाए जाने वाला यह विधेयक 2019 में संसद में लाया गया था और विपक्षी सदस्यों की मांग पर आगे की जांच के लिए संयुक्त समिति को भेजा गया था. ऐसे में दोनों सदनों में रिपोर्ट पेश किए जाने के दौरान विपक्ष सरकार पर निशाना साध सकता है.
7. चीनी घुसपैठ पर विपक्ष आक्रमक
पूर्वोत्तर भारत में चीनी घुसपैठ के मुद्दे पर मोदी सरकार को विपक्ष शीतकालीन सत्र में घेरने की तैयारी में है. चीन के साथ बॉर्डर पर तनाव से निपटने को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर हमला करता रहा है और उस पर भारत की अखंडता से समझौता करने का आरोप लगा रहा है, जबकि केंद्र ने इस आरोप से इनकार किया है. चीनी घुसपैठ पर पेंटागन रिपोर्ट के बाद कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल आगामी शीतकालीन सत्र में सरकार को घेर सकते हैं. राहुल गांधी ने हाल ही में ट्वीट कर कहा था कि अब चीनी कब्जे का सत्य भी मान लेना चाहिए.
8. CBI-ED प्रमुखों के कार्यकाल में विस्तार
सीबीआई और ईडी के डायरेक्टर्स के कार्यकाल को मौजूदा दो साल से बढ़ाकर पांच साल करने के लिए मोदी सरकार 14 नवंबर को दो अध्यादेशों लेकर आई. शीतकालीन सत्र के लिए सरकार की विधायी कार्य सूची के अनुसार, इन अध्यादेशों को कानून में बदलने के लिए तीन विधेयकों को भी सूचीबद्ध किया गया है. ऐसे में विपक्ष सरकार के इस फैसले पर घेरने की तैयारी में है, कांग्रेस और टीएमसी इसे लेकर काफी आक्रमक है.
राज्यसभा में टीएमसी के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट करते हुए कहा था कि अध्यादेशों ने ईडी और सीबीआई निदेशक के कार्यकाल को 2 साल से बढ़ाकर 5 साल कर दिया है. संसद का शीतकालीन सत्र में विपक्षी दल वह सब करेंगे जो भारत को एक निर्वाचित निरंकुशता में बदलने से रोकता है.
9. BSF अधिकार क्षेत्र में वृद्धि
पश्चिम बंगाल और पंजाब विधानसभा ने राज्य में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अधिकार क्षेत्र को 50 किलोमीटर तक बढ़ाने के केंद्र के कदम के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है. यहां तक कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में टीएमसी के विधायक उदयन गुहा ने बीएसएफ के जवानों पर सीमा पर आवाजाही के समय महिलाओं की तलाशी के दौरान गलत तरीके से छूने का आरोप लगाया. ऐसे में माना जा रहा है कि कम से कम इन दो राज्यों की ओर से विपक्ष सरकार को आड़े हाथों ले सकता है.
10. सीएए वापस और जातिगत जनगणना की मांग
कृषि कानून वापसी के बाद गरिकता संशोधन कानून (सीएए) को वापस लेने की मांग भी सदन में उठ सकती है. विपक्ष ही नहीं बल्कि एनडीए के सहयोगी दल भी सीएए को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने सीएए को वापस लेने की मांग की है और कहा कि पूर्वोत्तर में इस कानून के कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है. जेडीयू, अपना दल, आरपीआई जैसे दल जातिगत जनगणना के मामले में सरकार से स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की. वहीं, सपा, आरजेडी, बसपा, जैसे दल जातिगत जनगणना कराने की मांग को शीतकालीन सत्र में उठा सकते हैं.