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राष्ट्रपति से मिलने से पहले कृषि बिल पर बोले सीताराम येचुरी, सरकार ने लोकतांत्रिक मानदंडों का किया उल्लंघन

राष्ट्रपति से होने वाली मुलाकात से पहले सीताराम येचुरी ने कहा कि विपक्षी दलों का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बताएगा कि सरकार ने किसान विरोधी बिल पारित करने के लिए लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन किया.

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सीताराम येचुरी (फाइल फोटो)
सीताराम येचुरी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलेंगे विपक्षी नेता
  • 'सरकार ने लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन किया'
  • राहुल गांधी समेत 5 नेता करेंगे राष्ट्रपति से मुलाकात

कृषि कानूनों के मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों का प्रतिनिधिमंडल बुधवार शाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेगा. विपक्षी नेता राष्ट्रपति को बताएंगे कि सरकार ने कृषि विरोधी बिल पारित करने के लिए लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन किया. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार और सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी समेत 5 नेता राष्ट्रपति से मिलेंगे. 

राष्ट्रपति से होने वाली मुलाकात से पहले सीताराम येचुरी ने कहा कि विपक्षी दलों का प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बताएगा कि सरकार ने किसान विरोधी बिल पारित करने के लिए लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन किया.

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उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को ये भी बताया जाएगा कि 14 दिनों से किसान ठंड में प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार उनकी मांगों को खारिज कर रही है. सरकार की ओर से किसानों को लिखित में भेजे गए प्रस्ताव पर सीताराम येचुरी ने कहा कि हमने प्रस्ताव को देखा है. लेकिन सरकार ऐसे सुझाव दे रही है जो कृषि संकट का समाधान नहीं करते हैं.

राष्ट्रपति से होने वाली मुलाकात में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई के डी राजा और डीएमके के टीकेएस एलनगोवन रहेंगे. इस मुलाकात से विपक्ष कृषि कानूनों के मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करेगा. 

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बता दें कि किसान 14 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. वे सरकार से कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. वहीं, कल किसानों और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच बातचीत भी हुई है, जो बेनतीजा रही. सरकार की ओर से किसानों को लिखित में प्रस्ताव भेजा गया है, जिस पर किसान मंथन कर रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, सरकार के प्रस्ताव पर किसानों की सहमति के आसार कम हैं. अधिकतर किसान नेता तीनों कानून के वापसी से कम पर मानने को तैयार नहीं हैं.

 

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