
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की संसदीय सदस्यता रद्द कर दी गई है. वे केरल के वायनाड से लोकसभा सांसद थे. लेकिन अब वहां पर उपचुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. जिस तरह से मानहानि केस में सूरत कोर्ट के फैसले के 26 घंटे बाद राहुल की सांसदी खत्म की गई है, उससे देश में सियासी घमासान तेज हो गया है. कांग्रेस की तरफ से देशभर में प्रदर्शन हो रहा है. वहीं विपक्ष का भी राहुल को समर्थन मिला है. आम आदमी पार्टी से लेकर तृणमूल कांग्रेस और डीएमके तक कांग्रेस नेता के पक्ष में उतर आए हैं.

इस सबके बीच बीजेपी ने राहुल गांधी को 'UNFORTUNATELY an MP!' वाला बयान याद दिलाते हुए चुटकी ली है. कर्नाटक बीजेपी ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, "प्रिय राहुल गांधी, आपकी इच्छा पूरी हो गई है! कुछ दिन पहले, आपने स्वीकार किया था कि आप दुर्भाग्य से सांसद हैं! अब अदालत के फैसले ने आपकी इच्छा को भाग्य में बदल दिया है."
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जानें राहुल गांधी ने कब दिया था ये बयान
राहुल गांधी ने विदेश से लौटने के बाद 16 मार्च को बीजेपी को जवाब देने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. कारण, बीजेपी राहुल के कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में दिए गए बयान को लेकर माफी की मांग कर रही थी. प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा कि वे सदन में बीजेपी के आरोपों का जवाब देना चाहते हैं. लेकिन उन्हें नहीं लगता है कि उन्हें संसद में बोलने दिया जाएगा. राहुल ने आगे कहा, "दुर्भाग्य (Unfortunately) से मैं एक सांसद हूं और मुझे उम्मीद है कि मुझे संसद में बोलने दिया जाएगा, इसलिए मैं सबसे पहले अपने बयान को सदन के पटल पर रखना चाहूंगा इसके बाद मुझे इस पर आप जैसी भी चर्चा करना चाहेंगे, वैसी चर्चा करके मुझे खुशी होगी."
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जब जयराम रमेश ने पकड़ी 'अनफार्चुनेटली' वाली गलती
इस दौरान साथ में बैठे जयराम रमेश ने राहुल गांधी की 'अनफार्चुनेटली' वाली गलती पकड़ ली और उन्होंने राहुल के कान में इसे बताया. हालांकि ये माइक में स्पष्ट सुनाई दिया. जयराम ने कहा, "आपने कहा है कि दुर्भाग्य से मैं सांसद हूं, इस पर वे आपका मजाक बना सकते हैं." जयराम रमेश की बात सुनने के बाद राहुल ने फिर से अपनी बात कही और बयान में सुधार करते हुए पत्रकारों से कहा, "मैं इसे स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि दुर्भाग्य से मैं आपके सवालों का जवाब नहीं दे सकता, और चूंकि आरोप संसद में चार मंत्रियों की ओर से लगाए गए हैं इसलिए ये मेरा लोकतांत्रिक अधिकार है कि मुझे जवाब देने का मौका दिया जाए. इसलिए यदि भारत का लोकतंत्र काम कर रहा है तो मैं अपनी बात संसद में कह पाऊंगा."