गुजरात में आगामी साल 2022 के चुनाव से पहले पाटीदार समाज शनिवार को यहां के खोडलधाम में इकट्ठा हुआ, जिस में खोडलधाम के नरेश पटेल की अगुआई में लेउवा और कडवा पटेल दोनों ही पाटीदार समूह की मीटिंग हुई. आम तौर पर गुजरात की राजनीति में लेउवा पटेल और कडवा पटेल की भी अलग अलग राजनीति होती है. जिस में हार्दिक पटेल कडवा पटेल हैं तो वहीं डिप्टी मुख्यमंत्री नितिन पटेल लेउवा पटेल हैं.
दोनों ही ग्रुप की राजनीति काफी अलग अलग रहती है. ऐसे में खोडलधाम में मिली लेउवा और कडवा पाटीदार के अलग अलग संस्थान की मीटिंग के बाद ये फैसला लिया गया कि कोई भी अब लेउवा या कडवा पटेल के नाम से नहीं बल्कि सिर्फ पाटीदार समुदाय के नाम से जाना जाएगा.
खोलधाम में पाटीदार समाज के अग्रणियों के जरिए लिए गये इस फैसले के बाद पाटीदारों के लिए आरक्षण आंदोलन करने वाले हार्दिक पटेल ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि मैंने और मेरी टीम ने जो बीज बोया था वो आज बड़ा पेड़ हो गया है.
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हार्दिक पटेल खुद कडवा पाटीदार हैं, ऐसे में वो लगातार अपने समाज के लोगों को इस बात को अपने भाषणों में भी कहते नजर आते हैं कि अगर समाज को ऊपर लाना है तो कडवा और लेउवा की जगह पर सिर्फ पाटीदार बनें.
कडवा और लेउवा पाटीदार की जगह पर पाटीदार बनने के इस फैसले को पाटीदारों के एक बड़े राजनीतिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है. अब तक कडवा और लेउवा दोनों ही अपने अपने समाज के लोगों को ही वोट देते थे, या उन्हीं के लिए काम करते थे, लेकिन अब माना जा रहा है कि पाटीदार होने से और सभी पाटीदारों की धार्मिक संस्थाए एक होने से राजनीति में पाटीदारों का दबदबा और बढ़ जाएगा.