कृषि कानूनों के खिलाफ 53वें दिन किसान आंदोलन जारी है. किसान नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि कानून को वापस लिए बगैर कोई समाधान नहीं निकल सकता. वहीं कर्नाटक दौरे के दूसरे दिन अमित शाह ने कहा है कि कृषि कानूनों से किसानों की आय दोगुनी होगी. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की प्रतिबद्धता रही है कि वो किसानों का कल्याण करें. इसलिए किसान सम्मान निधि योजना के तहत सीध उनके खाते में पैसे भेजे जाते हैं.
कर्नाटक के बगलकोट में किसानों के लिए कई परियोजनाओं को लॉन्च करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए काम करने को प्रतिबद्ध है. तीनों कृषि कानूनों के जरिए किसानों की आय को कई गुना बढ़ाने में मदद करेंगे. अब किसान देश और दुनिया में कहीं भी कृषि उत्पाद बेच सकते हैं.
कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने किसानों को 6 हजार रुपये हर साल क्यों नहीं दिए, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ किसानों को क्यों नहीं दिया, जब वो सत्ता में थी. ऐसा इसलिए है क्योंकि कांग्रेस की मंशा ठीक नहीं थी.
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता किसानों की आय दोगुनी करनी है. शाह ने कहा कि 2013-14 में कृषि बजट 21 हजार 900 करोड़ के लगभग थी, जबकि 2020-21 में कृषि बजट बढ़कर 1 लाख 34 हजार 399 करोड़ हो गया है.
अमित शाह ने कहा कि एमएसपी में भी हमारी सरकार ने बढ़ोतरी की है. किसान सम्मान निधि योजना के तहत हमारी सरकार ने 1 लाख 13 हजार 619 करोड़ रुपये सीधे उनके खाते में जमा किया है.
किसान नेता का ऐलान- कमेटी के सामने नहीं जाएंगे
भारत किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना ही पड़ेगा. राकेत टिकैत ने कहा कि किसान सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी के सामने नहीं जाएंगे और सरकार को कृषि कानून वापस लेना ही पड़ेगा. राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा.
वहीं कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि हमने किसान संगठनों को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें हम उनकी मंडी से जुड़ी समस्याओं, व्यापारियों के पंजीकरण और दूसरे मुद्दों पर चर्चा के लिए राजी हो गए थे, सरकार पराली और बिजली से जुड़ी समस्याओं पर भी चर्चा करने को तैयार थी, लेकिन किसान सिर्फ कानून को रद्द कराना चाहते हैं, लेकिन ज्यादातर किसान और विशेषज्ञ कृषि कानूनों के पक्ष में हैं. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कानून को लागू नहीं किया जा सकता है, अब हमें उम्मीद है कि 19 जनवरी को किसान बिंदुवार चर्चा करें और सरकार को बताएं कि कृषि कानून रद्द करने के अलावा वे और क्या चाहते हैं?