दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में मंगलवार को हो रहे चुनाव पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं. बीजेपी के सांसद राजीव प्रताप रूडी और पूर्व सांसद डॉ. संजीव बालियान आमने-सामने हैं. इसके चलते यह जंग हाई प्रोफाइल होने के साथ-साथ बीजेपी बनाम बीजेपी की बन गई है. ढाई दशक से गवर्निंग काउंसिल के सचिव (प्रशासन) के पद पर राजीव प्रताप रूडी का एकछत्र कब्जा है, लेकिन संजीव बालियान के उतरने से लड़ाई रोचक हो गई है. ऐसे में देखना है कि सियासी बाजी किसके हाथ लगती है.
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के चुनाव में सचिव (प्रशासन) और 11 कार्यकारी सदस्यों का निर्वाचन किया जाएगा. मंगलवार को सुबह 11 बजे से शाम चार बजे तक कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के स्पीकर हॉल में वोटिंग होगी. इसके बाद आज ही शाम 5 बजे से मतगणना की जाएगी. इस तरह नतीजे देर शाम तक घोषित हो जाएंगे.
क्लब के संस्कृति सचिव के लिए डीएमके के त्रिची शिवा, खेल सचिव के लिए कांग्रेस के सांसद राजीव शुक्ला और कोषाध्यक्ष के पद के लिए एपी जितेंद्र रेड्डी निर्विरोध चुने जा चुके हैं. अब मंगलवार को सचिव (प्रशासन) और 11 कार्यकारी सदस्यों के लिए चुनाव होना है. सचिव (प्रशासन) पद के लिए राजीव प्रताप रूडी और संजीव बालियान किस्मत आजमा रहे हैं. इसके अलावा कार्यकारी सदस्य के लिए 14 उम्मीदवार मैदान में हैं.
रूडी के वर्चस्व को क्या बालियान तोड़ पाएंगे?
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब पर पिछले कई सालों से राजीव प्रताप रूडी का सियासी वर्चस्व कायम है, लेकिन इस बार संजीव बालियान के उतरने से लड़ाई रोचक हो गई है. 2009, 2014 और 2019 में राजीव प्रताप रूडी जीत दर्ज कर चुके हैं. क्लब के कायाकल्प का श्रेय रूडी को जाता है. इसके चलते ही वे लगातार जीत दर्ज करते रहे हैं. वहीं, संजीव बालियान अब रूडी से दो-दो हाथ करने के लिए मैदान में उतरे हैं.
राजीव प्रताप रूडी लंबे समय से गवर्निंग काउंसिल के सदस्य हैं, उनको बीजेपी से लेकर कांग्रेस सांसदों तक का व्यापक समर्थन प्राप्त है. रूडी के पैनल से कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा के साथ चार अन्य भाजपा सांसद, आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन कार्यकारी सदस्य का चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, संजीव बालियान को तेजतर्रार बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के साथ-साथ पार्टी के दूसरे सांसदों का भी समर्थन प्राप्त है. इस तरह बीजेपी बनाम बीजेपी के चुनाव में फाइट जबरदस्त बन गई है, लेकिन रूडी के वर्चस्व को तोड़ पाना बालियान के लिए आसान नहीं है.
कौन-कौन नेता लड़ रहे क्लब का चुनाव
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के सचिव पद पर राजीव प्रताप रूडी और संजीव बालियान के बीच फाइट है तो 11 कार्यकारी सदस्यों के लिए 14 सांसद चुनाव मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी के पूर्व राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल, बीजेपी के पूर्व लोकसभा सांसद प्रदीप गांधी, कांग्रेस के पूर्व लोकसभा सांसद जसबीर सिंह गिल, भाजपा के लोकसभा सांसद नवीन जिंदल चुनाव लड़ रहे हैं.
कांग्रेस के पूर्व सांसद असलम शेर खान, टीडीपी के लोकसभा सांसद कृष्ण प्रसाद टेनेट्टी, बीजेपी के राज्यसभा सांसद प्रदीप कुमार वर्मा, सपा के लोकसभा सांसद अक्षय यादव, टीएमसी के लोकसभा सांसद प्रसून बनर्जी, शिवसेना के पूर्व लोकसभा सांसद श्रीरंग अप्पा बारने, बीजेडी के कालीकेश सिंह देव, कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा और प्रेमचंद्रन के साथ-साथ पूर्व सांसद अनूप सिंह चुनावी मैदान में हैं.
पीएम मोदी से राहुल गांधी तक हैं वोटर
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का चुनाव जीतने को लेकर उनके समर्थकों में एक भरोसा है. संसद के दोनों सदन-लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य इस क्लब के सदस्य होते हैं. इनके अलावा पूर्व सांसद भी इस क्लब के सदस्य बन सकते हैं. मौजूदा समय में इस क्लब के तकरीबन 1,200 सदस्य हैं, जो वोटिंग में हिस्सा लेंगे.
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, सचिन पायलट, पीयूष गोयल, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समेत विभिन्न पार्टियों के अधिकांश वरिष्ठ नेता मतदाता हैं.
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब का सियासी महत्व
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का महत्व यह है कि यह देश के सांसदों का क्लब है, जिसके चलते इसे मिनी संसद भी कहा जाता है. इस क्लब की स्थापना साल 1947 में हुई. संविधान सभा के सदस्यों के संवाद हेतु इसकी बुनियाद पड़ी. बाद में इसे सांसदों के क्लब के रूप में मान्यता मिली. इसकी औपचारिक संरचना 1965 में राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा उद्घाटन के साथ स्थापित हुई, तब से अब तक मौजूदा सांसदों के मिलने-जुलने समेत विभिन्न गतिविधियों के केंद्र के तौर पर काम करता है.
1998-99 में लोकसभा अध्यक्ष स्व. जीएमसी बालयोगी ने एक विजन कमेटी गठित की, जिसमें राजीव प्रताप रूडी, हन्नान मौला जैसे सदस्य शामिल थे. इस कमेटी के माध्यम से क्लब में आवश्यक सुधारों की नींव पड़ी और राजीव प्रताप रूडी को सचिव (प्रशासन) के रूप में नामित किया गया. 2002 में क्लब को सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के तहत पंजीकृत किया गया, जिससे इसे संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ.
तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष स्व. सोमनाथ चटर्जी के निर्णयानुसार क्लब में चुनाव आधारित गवर्निंग व्यवस्था की शुरुआत हुई. 2 अगस्त 2008 को बायलॉज स्वीकृत हुए और 18 फरवरी 2009 को पहले चुनाव हुए. इसके बाद 2014 और 2019 में चुनाव हुए, तीनों ही चुनाव में राजीव प्रताप रूडी निर्विरोध सचिव चुने गए. कार्यकारी सदस्यों के लिए चुनाव हुए. अब चौथी बार चुनाव हो रहा है.
सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के तहत गठित इस क्लब की गवर्निंग बॉडी के पदेन अध्यक्ष लोकसभा स्पीकर होते हैं. इस तरह से ओम बिरला इस समय क्लब के अध्यक्ष हैं. राज्यसभा के उपसभापति और केंद्रीय शहरी विकास मंत्री इसके पदेन उपाध्यक्ष होते हैं. इस नाते हरिवंश सिंह और मनोहर लाल खट्टर क्लब के उपाध्यक्ष हैं. इसके बाद तीन सचिव के पद होते हैं. इनमें एक प्रशासन, एक खेल और एक संस्कृति से संबंधित होते हैं. एक कोषाध्यक्ष होते हैं. इनके अलावा 11 कार्यकारी सदस्य होते हैं. गवर्निंग बॉडी का कार्यकाल पांच साल का होता है.
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में क्या-क्या काम होता है?
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब आज सभी राजनीतिक दलों की बैठकों, सामाजिक आयोजनों और सांसदों के निजी कार्यक्रमों का प्रमुख केंद्र बन चुका है. इस क्लब में आधुनिक रेस्टोरेंट, जिम, स्पा, स्विमिंग पूल, बैडमिंटन कोर्ट, क्रिकेट नेट और बहुउद्देशीय हॉल जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जहां सभी दलों की सियासी बैठकें, सामाजिक समारोह और यहां तक कि पारिवारिक आयोजनों का भी नियमित रूप से आयोजन होता है. सांसदों के परिवारों के सदस्य विशेषकर बच्चे क्लब के जिम, स्विमिंग पूल जैसी सुविधाओं का उपयोग करने लगे हैं.