केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI और उससे जुड़े 8 संगठनों पर 5 साल का प्रतिबंध लगा दिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेन्शन एक्ट (UAPA) के तहत ये बैन लगाया गया है. इसको लेकर जहां एक तरफ विपक्षी पार्टियां सवाल उठा रही हैं तो वहीं अखिल भारतीय पसमांदा मुस्लिम महाज ने प्रतिबंध का स्वागत किया है.
बयान जारी करते हुए अखिल भारतीय पसमांदा मुस्लिम महाज ने कहा कि पीएफआई के विरुद्ध एनआई द्वारा लगातार की जा रही छापेमारी में जो तथ्य सामने आए हैं, उससे यह जगजाहिर हो गया है कि संगठन देश के भीतर सामाजिक सौहार्द एवं भाईचारे के विरुद्ध कार्य कर रह है. देश में पीएफआई के अतिरिक्त अन्य सामाजिक संगठन जो अपने आप को देशहित की दुहाई दे रहे हैं, उन्हें भी देश की अखंडता एवं संप्रभुता के विरुद्ध कार्य करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
बसपा सांसद ने किया बैन का विरोध
PFI और इसके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध लगाए जाने पर असदुद्दीन ओवैसी और सपा नेता शफीकुर्रहमान बर्क समेत तमाम विपक्षी नेताओं के बाद अब बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने भी इसका विरोध किया है. दरअसल, सहारनपुर से बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने कहा कि बीजेपी को पीएफआई से राजनीतिक खतरा था, इसीलिए इसे बैन किया है.
22 सितंबर को हुई थी ताबड़तोड़ छापेमारी
गौरतलब है कि NIA, ED और राज्यों की पुलिस ने 22 सितंबर और 27 सितंबर को PFI पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी. पहले राउंड की छापेमारी में 106 PFI से जुड़े लोग गिरफ्तार हुए थे. दूसरे राउंड की छापेमारी में 247 PFI से जुड़े लोग गिरफ्तार-हिरासत में लिए गए. जांच एजेंसियों को PFI के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिले. इसके बाद जांच एजेंसियों ने गृह मंत्रालय से कार्रवाई की मांग की थी. जांच एजेंसियों की सिफारिश पर गृह मंत्रालय ने PFI पर बैन लगाने का फैसला किया.