अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 साल बाद अपना फैसला सुना दिया है. अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. अदालत ने ये भी कहा कि मस्जिद का विध्वंस सुनियोजित नहीं था. इस फैसले पर सांसद और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने हैरानी जताई है.
आजतक के साथ बिशेष बातचीत में उन्होंने कहा है कि भारत के संविधान, यहां की विविधता पर यकीन रखने वालों के लिए सीबीआई कोर्ट का ये फैसला दुख की घड़ी है. उन्होंने कहा कि ये फैसला भारत के न्यायिक इतिहास का काला दिन है. ओवैसी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को जो फैसला दिया था उसमें कहा था कि सार्वजनिक इबादत के स्थान को जानबूझकर नुकसान पहुंचाया गया है.
ओवैसी ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या किसी जादू के तहत बाबरी मस्जिद को शहीद कर दिया गया था. क्या किसी जादू के तहत वहां मूर्तियां रखी गई थीं. क्या जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तो जादू से ताले खोले गए थे. विशेष अदालत का ये फैसला सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ है.
ओवैसी ने कहा कि वे ये कहने पर मजबूर हैं कि हिंसा का आपको राजनीतिक रूप से फायदा मिलता है. उन्होंने कहा कि आडवाणी की रथ यात्रा जहां-जहां से गुजरी वहां हिंसा हुई, संपत्ति जलाई गई.
ओवैसी ने कहा कि क्या उमा भारती ने नहीं कहा था कि एक धक्का और दो बाबरी मस्जिद तोड़ दो. क्या दुनिया ने नहीं देखा जब मस्जिद ढहाई जा रही थी तो मिठाइयां बांटी जा रही थीं, आडवाणी, उमा भारती, एम एम जोशी मिठाई खा रहे थे. खुशियां मना रहे थे.
बता दें कि अदालत ने अपने फैसले में कहा कि किसी भी आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले. इसलिए सभी को बरी किया जाता है.