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भारत

सांप के काटने पर घंटों चला झाड़-फूंक का ड्रामा, मंत्र पढ़ते ही अजीब हरकत

सांप के काटने पर घंटों चला झाड़-फूंक का ड्रामा, मंत्र पढ़ते ही अजीब हरकत
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उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में आज भी अशिक्षा और जानकारी के अभाव में हर साल सांप के काटने से हजारों लोगों की जान चली जाती है, जिसका कारण है सांप के काटने से फैलने वाले जहर का इलाज करवाने की जगह अंधविश्वास और झाड़-फूंक का सहारा लेना. (प्रतीकात्मक फोटो)
सांप के काटने पर घंटों चला झाड़-फूंक का ड्रामा, मंत्र पढ़ते ही अजीब हरकत
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ऐसा ही एक नजारा कैमरे में उस समय कैद हुआ, जब महरौनी तहसील अंतर्गत अजान ग्राम में एक सहरिया आदिवासी के 12 साल के बच्चे को सांप के काटने के बाद उसके परिजनों द्वारा इलाज कराने की जगह झाड़-फूंक कराने के लिए ले जाया गया. (प्रतीकात्मक फोटो)
सांप के काटने पर घंटों चला झाड़-फूंक का ड्रामा, मंत्र पढ़ते ही अजीब हरकत
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घंटों तक उसको ओझाओं द्वारा झाड़ा-फूंका गया. गांव के बीच में बने एक मंदिर के सामने यह अंधविश्वास का ड्रामा करीब 2 घंटे तक चलता रहा लेकिन किसी ने भी बच्चे का इलाज डॉक्टर के द्वारा करवाना जरूरी नहीं समझा. (प्रतीकात्मक फोटो)
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बच्चे की किस्मत अच्छी थी कि कम जहरीले सांप के काटने की वजह से उसकी जान नहीं गई लेकिन जिस तरह से सांप के काटने का इलाज करने वाले ओझा ने मंत्र पढ़ना शुरू किया तो बच्चा सांप की तरह एक्टिविटीज करने लगा. साथ ही घंटों तक वह ओझाओं और बाबाओं को काटने की कोशिश करते हुए नजर आया. (प्रतीकात्मक फोटो)
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फिलहाल जिस तरह से आज भी ग्रामीण इलाकों में अशिक्षा की वजह से लोगों द्वारा जहरीले सांपों के काटने के बाद भी इलाज कराने की जगह झाड़ फूंक का सहारा लिया जाता है, उसकी वजह से ज्यादातर मरीजों की जान चली जाती है लेकिन उसके बाद भी लोगों को इलाज की जगह झाड़ फूंक पर ही विश्वास है. (प्रतीकात्मक फोटो)
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वहीं, जिला अस्पताल के डॉक्टर महेश गुप्ता भी मानते हैं कि जिले में जहरीले कीड़े और सांप के काटने की वजह से ज्यादातर मामलों में मौत हो जाती है जिसका कारण है मरीज को काफी देरी से जिला अस्पताल लेकर आना. अस्पताल लाने की जगह लोग झाड़ फूंक और टोटके के लिये मरीजों को ले जाते हैं जिसकी वजह से जहर फैलने से ज्यादातर लोगों की मौत हो जाती है. इसलिये जिले में सांपों के द्वारा काटे जाने की वजह से मौत का आंकड़ा अधिक है. अगर मरीज शुरुआती दौर में ही झाड़ फूंक करवाने की जगह अस्पताल पहुंच जाए तो ज्यादातर लोगों को बचाया जा सकता है. (प्रतीकात्मक फोटो)
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