राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ पिछले करीब दो महीने से धरना-प्रदर्शन जारी है. सरकार विरोधी नारेबाजी और संविधान बचाने के दावों से इतर धरना स्थल पर रोज नए नजारे देखने को मिल रहे हैं. गुरुवार को भी ऐसा ही हुआ.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले झारखंड में एक चुनावी रैली में कहा था कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ जो आंदोलन चल रहा है उसमें कपड़े देखकर पहचाना जा सकता है कि ये आंदोलनकारी कौन हैं. पीएम ने ये टिप्पणी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए की थी लेकिन इसे अल्पसंख्यक खासकर मुस्लिम तबके पर कमेंट माना गया. गुरुवार को शाहीन बाग में पीएम मोदी के इसी बयान को चुनौती देता नजारा दिखाई दिया.
गुरुवार को सभी धर्मों (हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई) के लोगों ने अपने-अपने धर्म के मुताबिक पूजा-पाठ और प्रार्थना की. इस दौरान सभी लोगों ने एक-दूसरे का साथ दिया. एक तरफ शगुफ्ता ने पूजा-पाठ के साथ जहां मंत्र का जाप किया तो वहीं उपासना और शिवानी ने कलमा पढ़ा. इसके अलावा सिख और ईसाई धर्म के लोगों ने भी सभी धर्मों के कार्यक्रम में हिस्सा लिया.
जश्न-ए-एकता में लोगों ने सिर्फ अंदाज ही नहीं बल्कि लिबास भी बदला. मसलन, हिंदू ने टोपी पहनी को मुस्लिम महिलाएं साड़ी में दिखाई दीं. कुछ लोगों ने सिर पर पगड़ी बांधी. कार्यक्रम के बाद प्रदर्शनकारी महिलाओं ने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री
अमित शाह को शाहीन बाग आने की दावत देते हुए कहा कि आइए और हमारे कपड़ों से
हमें पहचानिए. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हम हिंदुस्तानी हैं, हमें धर्म
के आधार पर बांटने की कोशिश ना करें.
जश्न ए एकता में मौजूद प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह शाहीन बाग में सिर्फ
मुसलमान लोग ही नहीं बल्कि गुरमीत, राम, रहीम साथ धरने पर बैठे हैं.
बता दें कि सीएएस के खिलाफ शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन में पंजाबी, हिंदू और ईसाई समुदाय के लोग भी मौजूद हैं. शाहीन बाग में धरना-प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि सरकार जब तक नागरिकता संशोधन कानून वापस नहीं लेगी हम इसी तरह काले कानून के खिलाफ सकड़ पर डटे रहेंगे.