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ममता की ₹5 की थाली कोई नई बात नहीं, देश में पहले भी लॉन्च होती रही ऐसी स्कीम

ममता की ₹5 की थाली कोई नई बात नहीं, देश में पहले भी लॉन्च होती रही ऐसी स्कीम

पश्चिम बंगाल की ममता सरकार की 5 रूपए की थाली कोई नई बात नहीं है. अलग-अलग राज्यों में वक्त-वक्त पर ऐसी चुनावी थालियां लॉन्च होती रही हैं. साल 2011 में झारंखड की तबकी बीजेपी सरकार ने 5 रूपए में दाल-भात योजना लॉन्च किया और इस चुनाव में बीजेपी भारी बहुत से जीत दर्ज की थी. साल 2013 में तमिलनाडु में AIADMK की जयललिता सरकार ने अम्मा कैंटीन को लॉन्च किया था. इस चुनाव में जयललिता की शानदार वापसी हुई थी. अप्रैल 2015 में ओडिशा में भी नवीन पटनायक की सरकार ने शहरी गरीबों के लिए आहार योजना शुरू की थी. 5 रूपए यहां भी भोजन की व्यवस्था थी औरपटनायक ने सत्ता में वापसी की. दिसंबर 2016 में राजस्थान में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अन्नपूर्णा रसोई योजना लॉन्च कर 5 से 8 रूपए की थाली सजाई थी. हालांकि वसुंधरा विधानसभा चुनाव हार गईं. अप्रैल 2017 में मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार ने दीनदयाल रसोई योजना शुरू की थी. इसमें 5 रूपए में भोजन की व्यवस्था की गई थी. हालांकि इसके बाद चुनाव में बीजेपी को फायदा नहीं हुआ. जुलाई 2018 में आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अन्ना कैंटीन को लॉन्च किया था. यहां भी 5 रूपए में खाना खिलाया गया, लेकिन चुनाव में नायडू की हार हुई.

Bengal Chief Minister Mamata Banerjee has launched 5 rupees plate food scheme before the elections but this type of scheme is not new in the country. Earlier also such schemes have been launched during elections and sometimes it has proven to be a good election strategy. Know, who else launched this scheme and what was the outcome.

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