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'मोदी युग' में भी BJP साउथ इंडिया को फ़तह क्यों नहीं कर पा रही?: दिन भर, 20 जनवरी

कुश्ती संघ और पहलवानों के बीच रार क्यों उलझती ही जा रही है और पिछले कुछ सालों में फेडरेशन की किन हरक़तों से खिलाड़ी नाराज़ होते चले गए? दक्षिण भारत की पहेली सुलझाना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर क्यों रही है, यूक्रेन को हेवी बैटल टैंक्स देने में अमेरिका और जर्मनी क्यों आनाकानी कर रहे हैं और न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ ODI सीरीज जीतने के लिए इंडिया को क्या करना होगा, सुनिए आज के 'दिन भर' में नितिन ठाकुर से.

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din bhar south india politics
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दिल्ली के जंतर मंतर पर इंडियन रेसलर्स के प्रोटेस्ट का आज तीसरा दिन है. बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक जैसे बड़े पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला हुआ है. फेडरेशन को भंग करने की मांग पर अड़े हुए हैं. यौन शोषण और दूसरे आरोपों की शिकायत  लेकर रेसलर्स आज इंडियन ओलंपिक्स एसोसिएशन पहुंचे. पीटी उषा की अध्यक्षता वाली इस एसोसिएशन ने इस पर आपात बैठक बुलाई और सूत्रों का कहना है कि मामले की जांच के लिए एक कमिटी बनाई जाएगी. धरने पर बैठे खिलाड़ी देर शाम खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से भी मिलने पहुंचे. बजरंग पूनिया ने कहा कि पहले भी उन्हें जान से मारने की धमकी मिली थी और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर से काफी उम्मीदें हैं और FIR दर्ज़ कराने पर हमने अभी निर्णय नहीं लिया है.

हालाँकि, सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से नहीं हटाए जाएंगे, खिलाड़ी ज्यादा ज़ोर देंगे तो जाँच पूरी होने तक वो पद से दूर रह सकते हैं. तृणमूल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है. पार्टी की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद ये व्यक्ति अपने पद पर क़ायम है. वहीं बृजभूषण शरण सिंह ने एक बार फिर से अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है.

ये 'कुश्ती' कौन जीतेगा?

रेसलिंग फेडेरशन भी प्रोटेस्ट कर रहे पहलवानों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज़ करवाने के बारे में विचार कर रहा है. क्योंकि कल से यूपी के गोंडा में रेसलिंग नेशनल चैंपियनशिप होनी थी, जिसका कई खिलाड़ियों ने बायकॉट कर दिया है, और फेडरशन का कहना है कि उन खिलाड़ियों को गुमराह किया गया. तो ये टसल सुलझने की बजाय क्यों उलझता जा रहा है और पिछले कुछ सालों में ऐसा क्या हुआ जिसका नतीजा हम इस रूप में देख रहे हैं, सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में.

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कर्नाटक में करिश्मा कर पाएगी बीजेपी?

कभी बीजेपी को उत्तर भारत का दल कहा जाता था, लेकिन चुनावी इतिहास में दर्ज है कि फिर उसने नॉर्थ ईस्ट में भी परचम फहराया और दक्षिण में भी उसकी धमक सुनाई दी. बावजूद इसके दक्षिण में भाजपा के हिस्से वैसी कामयाबी आई नहीं जैसी देश के दूसरे हिस्सों में आई है. इस साल 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे और दक्षिण से दो राज्य इसमें शामिल होने हैं.. कर्नाटक और तेलंगाना. कर्नाटक में बीजेपी की सरकार है और तेलंगाना में 2014 के बाद से उसे अपनी कामयाबी की उम्मीदें जागी हैं. 

वहीं, आंध्र प्रदेश है जहां बीजेपी ने टीडीपी से ताल बैठाई तो 2014 में 2 सीट हासिल की मगर 2019 में अकेले लड़ने पर सिफर हाथ लगा. फिर केरल है जहां बीजेपी ने 2019 में अपना सबसे शानदार प्रदर्शन करके 13 फीसद वोट हासिल किए थे. तो तमिलनाडु भी है जहां से बीजेपी को कभी कोई ढंग की गुडन्यूज़ नहीं मिली. अलबत्ता ए आई डी एम के से हाथ मिलाकर वो विधानसभा में चार सीटें ज़रूर लाई है. 

तो एक बात साफ है कि जब – जब भाजपा तमिलनाडु और आंध्र में गठबंधन करके लड़ती है तो ठीक परफॉर्म करती है.. इन दोनों राज्यों में बीजेपी के लिए गठबंधन का फॉर्मूला मरज़ी मानें या मजबूरी? तेलंगाना में तो साल के आखिर में चुनाव है लेकिन कुछ ही महीनों में कर्नाटक में चुनाव होना है तो इन दोनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी कोई नई लकीर खींचेगी?

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यूक्रेन की मदद से पीछे हटा जर्मनी?

दुनिया में कई चीज़ें चल रही हैं और इनमें से एक रूस-यूक्रेन जंग भी है. पिछले हफ्ते शनिवार को रूस ने यूक्रेन के निप्रो शहर में नौ मंजिला अपार्टमेंट पर अटैक किया. तीन बच्चे समेत 40 लोगों की इसमें मौत हो गई. 25 लोग लापता हैं. बकौल यूक्रेनियन आर्मी जनरल स्टाफ़, रूसी तोपों ने डोनबास की ओर आगे बढ़ने के क्रम में बखमुत और अव्दिका के आसपास लगभग 25 कस्बों और गांवों को निशाना बनाया. खारकीव और सुमी क्षेत्रों की 30 से अधिक बस्तियों में गोलीबारी की. इन घटनाओं ने यूक्रेनी सैनिकों के ऊपर ईस्टर्न फ्रंट को बचाने का दबाव और बढ़ा दिया है. अब उनकी नज़र पश्चिमी देशों से आने वाले हथियारों के सप्लाई पर टिकी है, खास कर उनका ज़ोर टैंकों पर ज्यादा है. दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम को संबोधित करते हुए यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने इसपर अपनी बात भी रखी थी.

पोलैंड, फिनलैंड तो यूक्रेन को जर्मन मेड लियोपार्ड 2एस टैंक देने के लिए राज़ी हैं, लेकिन मामला अटका है जर्मनी को लेकर, क्योंकि बिना उसके हां किए पोलेंड और फिनलैंड यूक्रेन को उसकी बनाई लियोपार्ड 2एस टैंक नहीं भेज सकते. तो अब सबसे पहले तो सवाल ये बनता है कि यूक्रेन का फोकस टैंकों पर क्यों है, वो क्यों रूस के खिलाफ टैंकों के सहारे ही लड़ाई आगे बढ़ाना चाह रहा है और जर्मनी टैंक देने में आनाकानी क्यों कर रहा है, सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.

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ऐसे कैसे जीतेंगे सीरीज़?

खेल की दुनिया में बड़ी हलचल है. टेनिस में ऑस्ट्रेलियन ओपन चल रहा है, इंडिया के रोहन बोपन्ना मेन्स डबल्स के पहले राउंड से ही हारकर बाहर हो गए हैं. हॉकी वर्ल्ड कप में इंडिया ने वेल्स को 4-2 से हराकर क्वॉर्टरफाइनल की उम्मीदें ज़िंदा रखी हैं. इसके बाद कल रियाद में फुटबॉल के बड़े सितारों का जमघट लगा और मेसी से लेकर रोनाल्डो, नेमार और एमबापे जैसे खिलाड़ी के फ्रेंडली मैच खेलने जुटे थे. लेकिन अब फोकस शिफ़्ट हो गया है - इंडिया और न्यूजीलैंड ओडीआई सीरीज पर. कल रायपुर में दोनों टीमों के बीच दूसरा मैच खेला जाना है. पहला मैच बेहद रोमाचंक रहा था, जिसे टीम इंडिया ने 12 रनों से जीता था. शुभमन गिल के शानदार दोहरे शतक से गदगद क्रिकेट फैंस एक और थ्रिलर कॉन्टेस्ट की उम्मीद कर रहे हैं. इंडिया चाहेगी कि ये मैच जीतकर सीरीज अपने नाम कर ले, लेकिन क्या ये इतना आसान रहने वाला है, सुनिए 'दिन भर' की आख़िरी ख़बर में.

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