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केरल में क्यों नहीं है एपीएमसी? बीजेपी के सवाल पर जानिए क्या बोले सीताराम येचुरी

किसान कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच सरकार और विपक्ष में भी घमासान जारी है. मोदी सरकार का दावा है कि इन कानूनों से किसानों की आय बेहतर होगी तो वहीं विपक्ष का तर्क है कि इन कानूनों के चलते apmc यानी मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी.

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सीताराम येचुरी (फाइल फोटो)
सीताराम येचुरी (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • केरल में क्यों नहीं है एपीएमसी, सीताराम येचुरी ने बताई वजह
  • लेफ्ट और कांग्रेस दोनों से यह सवाल किया गया
  • 16 तरह की सब्जियों पर भी न्यूनतम समर्थन कीमत निर्धारित

कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के बीच सरकार और विपक्ष में भी घमासान जारी है. मोदी सरकार का दावा है कि इन कानूनों से किसानों की आय बेहतर होगी तो वहीं विपक्ष का तर्क है कि इन कानूनों के चलते apmc यानी मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी. विपक्ष के तर्क पर सवाल उठाते हुए बीजेपी के कई नेताओं और सरकार में बैठे मंत्रियों ने लेफ्ट और कांग्रेस दोनों से यह सवाल उठाया कि केरल में एपीएमसी व्यवस्था क्यों नहीं है, अगर लेफ्ट मंडी व्यवस्था के इतने समर्थक हैं? 

केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी और वामपंथी पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी से भी यह सवाल कई बार पूछा गया कि केरल में आखिर एपीएमसी क्यों नहीं है? 

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केरल में सत्तारूढ़ वामपंथी पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने सत्ता पक्ष द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में कहा है कि केरल अकेला ऐसा राज्य है जहां सरकार द्वारा तय की गई एमएसपी से ज्यादा कीमत किसानों को फसलों के एवज में दी जाती है. सीताराम येचुरी का कहना है, "जिस फसल के लिए केंद्र सरकार की एमएसपी अट्ठारह सौ से 2748 प्रति क्विंटल तय की गई है, केरल में किसानों को उसी फसल के लिए 2748 रुपए प्रति क्विंटल दी जाती है जो कि केंद्र सरकार द्वारा तय की गई न्यूनतम समर्थन कीमत से 900 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा है. 

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केरल देश में इकलौता ऐसा राज्य है जहां 16 तरह की सब्जियों पर भी न्यूनतम समर्थन कीमत निर्धारित है.  येचुरी के मुताबिक केरल सरकार की तरफ से किसानों को हार्वेस्टिंग के सीजन में फसलों पर 22000, सब्जियों पर 25000, दालों पर 20000 और केले पर 30000 प्रति हेकयर सब्सिडी भी दी जाती है.

लेकिन केरल में एपीएमसी व्यवस्था क्यों नहीं है? इसके जवाब में सीताराम येचुरी का कहना है कि केरल में एपीएमसी मंडी व्यवस्था इसलिए नहीं है क्योंकि राज्य में पैदा होने वाले 82 फीसदी फसल कैश क्रॉप है जिसमें नारियल, काजू रबर, चाय, कॉफी, काली मिर्च, लॉन्ग और इलायची की पैदावार होती है. जिनकी कीमत अलग-अलग सरकारी बोर्ड नीलामी के जरिए एक व्यवस्था के तहत तय करते हैं. 

लेफ्ट पार्टियों के मुताबिक केरल में एपीएमसी ना होने के बावजूद किसानों को न सिर्फ उनकी फसल की ज्यादा कीमत मिलती है बल्कि कैश क्रॉप उगाने वाले किसानों को भी घाटा नहीं सहना पड़ता क्योंकि खरीद से लेकर बिक्री तक सरकार की नजर होती है. अब देखना यह है कि वामपंथी पक्ष की दलीलों पर सरकार क्या तर्क देती है.

 

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