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यूक्रेन के 10 में से 8 मेडिकल स्टूडेंट्स भारत में फेल, भारत में क्या है मेडिकल पढ़ाई का गणित

विदेश से मेडिकल की पढ़ाई कर अगर भारत में डॉक्टरी करना है तो उसके लिए फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन (FMGE) का टेस्ट पास करना जरूरी है. हालांकि, विदेश से मेडिकल की पढ़ाई कर भारत आने वाले ज्यादातर स्टूडेंट्स ये टेस्ट पास नहीं कर पाते हैं.

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विदेश से मेडिकल की पढ़ाई कर भारत में प्रैक्टिस करने के लिए FMGE का टेस्ट पास करना जरूरी. (फाइल फोटो-PTI)
विदेश से मेडिकल की पढ़ाई कर भारत में प्रैक्टिस करने के लिए FMGE का टेस्ट पास करना जरूरी. (फाइल फोटो-PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सस्ती मेडिकल पढ़ाई के चलते जाते हैं यूक्रेन
  • यूक्रेन में 35-40 लाख में कोर्स हो जाता है
  • FMGE देने वाले छात्रों की संख्या बढ़ रही

रूस और यूक्रेन की जंग खतरनाक मोड़ पर आ गई है. हर दिन लाखों लोग यूक्रेन छोड़ रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक जब से जंग शुरू हुई है, तब से 10 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़कर जा चुके हैं. बड़ी तादाद में भारतीय भी वहां से निकल रहे हैं. यूक्रेन में करीब 18 हजार भारतीय रहते हैं. इनमें से ज्यादातर वो हैं जो मेडिकल की पढ़ाई के लिए वहां गए हैं. सरकार के मुताबिक, यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों में से ज्यादातर को निकाल लिया गया है, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में वहां भारतीय फंसे हैं.

लेकिन सवाल ये है कि भारतीय छात्र वहां मेडिकल की पढ़ाई करने क्यों जाते हैं? इसका जवाब है कम फीस. दरअसल, यूक्रेन में MBBS के 5 से 6 साल के कोर्स में 35 से 40 लाख रुपये का खर्च आता है. इसमें रहने का खर्चा भी शामिल है. जबकि, भारत में मैनेजमेंट कोटा सीट की फीस 30 से 70 लाख रुपये है. 

हालांकि, विदेश से पढ़कर आने के बाद अगर भारत में डॉक्टरी करना है तो उसके लिए टेस्ट देना जरूरी है. इस टेस्ट को क्वालिफाई किए बिना लाइसेंस नहीं मिलता है. इसे फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन (FMGE) कहा जाता है. लेकिन विदेश से पढ़कर आने वाले ज्यादातर छात्र FMGE का टेस्ट क्वालिफाई नहीं कर पाते. 

FMGE का एग्जाम करवाने वाले नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (NBE) के मुताबिक, 2020 में विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करके आए 35 हजार 774 ने ये टेस्ट दिया था, जिसमें से 5 हजार 897 यानी 16.48% ही इसमें पास हो पाए थे. बीते 6 साल के आंकड़ों को देखें तो 1.26 लाख छात्रों ने FMGE का टेस्ट दिया है, लेकिन उसमें से करीब 21 हजार यानी 17% ही पास हो सके. 

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हालांकि, विदेश से पढ़ाई कर ये FMGE की परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है. 2015 में जहां 12,125 छात्रों ने ये परीक्षा दी थी तो वहीं 2020 में 35,774 छात्र इस एग्जाम में बैठे. यानी 6 साल में FMGE का टेस्ट देने वाले छात्रों की संख्या 3 गुना बढ़ गई है. वहीं, यूक्रेन से पढ़ाई कर ये एग्जाम देने वाले छात्रों की संख्या भी 6 साल में दोगुनी हो गई है.

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भारत में MBBS की सीट 88 हजार, NEET देने वाले 15 लाख

- दिसंबर 2021 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोकसभा में बताया था कि देश में 596 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें MBBS की 88 हजार 120 सीटें हैं. इनमें से भी आधी सीटें प्राइवेट कॉलेजों में है.

- स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, 7 सालों में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 174 और MBBS की सीटों की संख्या 30,982 बढ़ गई है. 

- हालांकि, मेडिकल की पढ़ाई के लिए होने वाली NEET परीक्षा में हर साल 15 लाख से ज्यादा छात्र बैठते हैं. NTA के मुताबिक, 2021 में 16.14 लाख छात्रों ने NEET की परीक्षा का फॉर्म भरा था, जिनमें से 15.44 लाख छात्र परीक्षा में बैठे थे. इनमें से 8.70 लाख छात्रों ने ये परीक्षा पास की थी. 

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- NEET का एग्जाम क्वालिफाई करने के लिए जनरल कैटेगरी वाले छात्र को कम से कम 50 पर्सेंटाइल स्कोर लाना जरूरी है. वहीं, SC/ST और OBC के लिए 40 पर्सेंटाइल लाना जरूरी है. जबकि, PWD कोटा वाले उम्मीदवारों के लिए क्वालिफाइंग मार्क्स 45 पर्सेंटाइल है.

- हालांकि, NEET क्वालिफाई करने के बाद भी कॉलेज में मेडिकल सीट मिलेगी या नहीं, ये कॉलेज की कटऑफ लिस्ट तय करती है. कॉलेज की कटऑफ लिस्ट से ही उम्मीदवारों को सीट मिलती है. जिन छात्रों के मार्क्स कटऑफ के हिसाब से नहीं होते, उन्हें NEET क्वालिफाई करने के बाद भी सीट नहीं मिलती.

7 साल में देश में 3.62 लाख बढ़े डॉक्टर्स

देश में एलोपैथिक डॉक्टरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. फरवरी में ही सरकार ने बताया था कि देश में मेडिकल काउंसिल में रजिस्टर्ड एलोपैथिक डॉक्टर्स की संख्या 13 लाख से ज्यादा है. ये आंकड़ा नवंबर 2021 तक का है.

इससे पहले 2020 में रजिस्टर्ड डॉक्टर्स की संख्या 12.89 लाख थी, जबकि 2019 में 12.34 लाख डॉक्टर्स थे. पिछले 7 साल में देश में डॉक्टर्स की संख्या 3.62 लाख से ज्यादा बढ़ गई है. 

 

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