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ममता बनर्जी ने बंगाल के मुख्य चुनाव आयुक्त पर ऐसा क्या कहा? EC ने तुरंत मंगाई वीडियो क्लिप

पश्चिम बंगाल भाजपा की शिकायत के बाद आयोग ने ममता बनर्जी के बयान का वीडियो और उसका अनुवाद मंगाया है. ममता ने राज्य सीईओ मनोज अग्रवाल के खिलाफ "भ्रष्टाचार के आरोपों का खुलासा" करने की चेतावनी दी थी, जिसकी अब जांच की जा सकती है.

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ममता बनर्जी ने बंगाल के मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ भ्रष्टाचार के खुलासे की बात कही थी. (File Photo)
ममता बनर्जी ने बंगाल के मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ भ्रष्टाचार के खुलासे की बात कही थी. (File Photo)

पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. उनके कथित धमकी भरे बयान को लेकर भारतीय निर्वाचन आयोग ने गंभीरता से संज्ञान लिया है.

राज्य बीजेपी ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री ने पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) मनोज अग्रवाल को सार्वजनिक रूप से धमकाया है. भाजपा की शिकायत मिलने के बाद आयोग ने रविवार शाम तक ममता बनर्जी के उस वीडियो की मांग की है जिसमें उन्होंने सीईओ के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.

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आयोग के सूत्रों के मुताबिक, ममता बनर्जी ने गुरुवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि अगर सीईओ ने "अपनी सीमा पार की", तो उनके खिलाफ "भ्रष्टाचार के आरोपों का खुलासा" किया जाएगा. इस दौरान उन्होंने सीईओ पर अधिकारियों को धमकाने का भी आरोप लगाया. कार्यक्रम में राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत और मंत्री अरूप बिस्वास भी मौजूद थे.

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आयोग ने बयान की क्लिपिंग और ट्रांसलेशन मांगी है

आयोग ने अब इस बयान की क्लिपिंग और उसका सटीक अनुवाद तलब किया है. आयोग का कहना है कि किसी भी अधिकारी पर आरोप प्रमाण सहित लोकपाल के समक्ष प्रस्तुत किए जाने चाहिए, न कि सार्वजनिक मंचों से धमकी दी जानी चाहिए.

भाजपा विधायक दल के नेता शुभेंदु अधिकारी की अगुवाई में विपक्षी विधायकों ने चुनाव आयोग को पत्र सौंपकर मुख्यमंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है. पत्र में कहा गया है कि यह बयान लोकतांत्रिक संस्थाओं की अखंडता को कमजोर करने की कोशिश है.

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चुनाव आयोग ने अधिकारी को धमकी दिए जाने पर क्या कहा?

चुनाव आयोग ने कहा है कि जब कोई मुख्यमंत्री, चुनावी प्रक्रिया में तैनात अधिकारियों को खुले तौर पर धमकी देता है, तो इससे प्रशासनिक निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं और यह संविधान के प्रति वफादारी को चुनौती देता है. आयोग इस मामले को "सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी नहीं, बल्कि लोकतंत्र की नींव को हिलाने वाला प्रयास" मान रहा है.

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