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'अमेरिका-पाक हमबिस्तर हो रहे लेकिन चीन पहले से उस बेड में...', नई-नई दोस्ती पर भारत के पूर्व डिप्लोमैट विकास स्वरूप का तंज

भारत के पूर्व राजनयिक विकास स्वरूप का कहना है कि अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ नजदीकियां बढ़ाकर रणनीतिक गलती की है क्योंकि पाकिस्तान रणनीतिक रूप से चीन के साथ है.

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पाकिस्तान से अमेरिका की नजदीकियों पर विकास स्वरूप ने तंज कसा है (Photo: Reuters)
पाकिस्तान से अमेरिका की नजदीकियों पर विकास स्वरूप ने तंज कसा है (Photo: Reuters)

अमेरिका और पाकिस्तान की बढ़ती गलबहियां इन दिनों चर्चा में है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पाकिस्तान प्रेम छिपा नहीं है. पाकिस्तान के साथ तेल समझौते से लेकर व्हाइट हाउस में आसिफ मुनीर के साथ डिनर करने तक दोनों के रिश्तें लगातार मजबूत होते दिखाई दे रहे हैं. मुनीर का बीते दो महीनों में दो बार अमेरिका का दौरा इसका संकेत है. अब इस पूरे मामले पर भारत के पूर्व राजनयिक ने टिप्पणी की है.

भारत के पूर्व राजनयिक विकास स्वरूप का कहना है कि अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ नजदीकियां बढ़ाकर रणनीतिक गलती की है क्योंकि पाकिस्तान रणनीतिक रूप से चीन के साथ है.

विकास स्वरूप ने कहा कि मुझे लगता है कि यह अमेरिका की ओर से रणनीतिक गलती है कि आप पाकिस्तान के साथ हमबिस्तर होने जा रहे हो लेकिन वह पहले से ही चीन के साथ हमबिस्तर है. चीन, अमेरिका का प्रतिस्पर्धी देश है.

उन्होंने कहा कि हमें पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंधों को भारत के साथ अमेरिका के संबंधों की तुलना में अलग लैंस से देखना होगा. मुझे लगताहै कि फिलहाल पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंध लंबे समय तक नहीं चलेंगे क्योंकि ये संबंध वित्तीय लाभ पर आधारित हैं. ट्रंप और विटकॉफ के परिवार ने पाकिस्तान में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना है. लेकिन भारत के साथ अमेरिका के संबंध अधिक रणनीतिक है.

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भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के कदम पर स्वरूप ने कहा कि अगर आप बुली के साथ मोलभाव करते हो तो बुली अपनी मांगें बढ़ा देता है. इसलिए मुझे लगता है कि हमने सही चीजें की हैं. हमारी रणनीतिक स्वायत्तता 1950 के दशक से ही हमारी विदेश नीति की आधारशिला रही है. मुझे नहीं लगता कि दिल्ली में कोई भी सरकार इस पर समझौता कर सकती है.

उन्होंने कहा कि ट्रंप डीलमेकर हैं और अब उन्होंने इसे ही अपनी यूएसपी बना लिया है कि वह पीसमेकर हैं. देखिए ना उन्होंने कितने मामलों में मध्यस्थता की कोशिश की फिर चाहे वह थाइलैंड और कंबोडिया हो, रवांडा या कॉन्गो या फिर आर्मेनिया या फिर अजरबैजान. वह हर मामले में दखल दे रहे हैं. इनमें से सबसे बड़ा मामला वह भारत और पाकिस्तान को देखते हैं, जिनके बीच उन्होंने सुलह कराने का दावा किया है.

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