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आंदोलन पर केंद्रीय मंत्री वीके सिंह बोले- तस्वीरों में कई लोग किसान नहीं लग रहे

केंद्र सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क पर उतरे किसानों से बातचीत की प्रक्रिया में है. इस बीच, केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा है कि आंदोलन की तस्वीरों में दिख रहे कई लोग किसान नहीं हैं.

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केंद्रीय मंत्री वीके सिंह (फाइल फोटो-इंडिया टुडे)
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह (फाइल फोटो-इंडिया टुडे)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • कई लोग किसान नहीं लग रहे हैं-वीके सिंह
  • 'कमीशन लेने वाले भी इसमें शामिल'
  • 'आंदोलन में कोई और लोग शामिल हैं'

केंद्र सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ सड़क पर उतरे किसानों से बातचीत की प्रक्रिया में है. इस बीच, केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा है कि आंदोलन की तस्वीरों में दिख रहे कई लोग किसान नहीं हैं. 

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक मंत्री वीके सिंह ने किसान आंदोलन की तस्वीरों का हवाला देते हुए कहा कि फोटो में दिख रहे कई लोग किसान नहीं हैं. किसानों के हित में क्या किया गया है. ये वो किसान नहीं हैं जिन्हें इससे (नए कृषि कानूनों) समस्या है, लेकिन ये लोग कोई और हैं. विपक्षियों के अलावा इसमें कमीशन पाने वाले लोग भी शामिल हैं.  

भले ही वीके सिंह आंदोलन पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन दिल्ली में जगह जगह से आए किसान आंदोलन कर रहे हैं तो उन्हें जमकर समर्थन भी मिल रहा है. अब हरियाणा की खाप पंचायतें भी किसान आंदोलन के पक्ष में खुलकर आ गई हैं. खाप पंचायतों से जुड़े किसान राशन पानी लेकर दिल्ली पहुंचने की तैयारी कर रहे हैं.

बहरहाल, छह दिनों से किसानों से बातचीत को 3 दिसंबर तक टालने की कोशिश कर रही केंद्र सरकार आज आखिरकार किसान संगठनों से बिना शर्त बातचीत के लिए तैयार हुई. लेकिन ये बातचीत बिना किसी ठोस नतीजे के खत्म हो गई.

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विज्ञान भवन में ये बैठक तीन बजे शुरू हुई. लेकिन इस बैठक से पहले पूरा होमवर्क किया गया था. सुबह बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर बड़ा मंथन हुआ. इसमें गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, रेल मंत्री और कृषि मंत्री मौजूद थे. इसके बाद विज्ञान भवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सोम प्रकाश ने किसान संगठनों के साथ बैठक की.

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बैठक में कुल 35 किसान संगठन के नेताओं ने हिस्सा लिया. करीब तीन घंटे चली बातचीत के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर प्रजेंटेशन दिया गया. मीटिंग के दौरान किसान नेताओं ने सरकार के सामने अपनी मांगें दोहराईं और सरकार की तरफ से उन्हें समझाने की कोशिशें की गईं. लेकिन बातचीत बेनतीजा रही. 

 

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