दिल्ली हाई कोर्ट ने 19 मई को तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग और कार्गो सेवा कंपनी Çelebi Airport Services India का परमिट लाइसेंस रद्द करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर कोई तत्काल आदेश जारी नहीं किया है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, "पछताने से ज्यादा बेहतर है सावधानी बरतना." इस मामले की अब अगली सुनवाई 21 मई को होगी.
केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताएं बताईं और कहा, "दुश्मन दस बार कोशिश कर सकता है और एक बार सफल हो सकता है; देश को हर बार सफल होना है." उन्होंने यह भी कहा, "सिविल एविएशन और नेशनल सिक्योरिटी के मामलों में रेशियो का कोई सिद्धांत लागू नहीं होता."
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कंपनी पिछले 17 साल से भारत में कर रही काम
तुर्की की कंपनी Çelebi की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि कंपनी पिछले 17 वर्षों से भारत में बिना किसी परेशानी के काम कर रही है और परमिट की मंजूरी रद्द करने से पहले कोई सूचना नहीं दी गई थी.
एयरपोर्ट और विमानों के हर हिस्से तक पहुंच रखते हैं कर्मी!
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि कंपनी के कर्मचारी, जो एयरपोर्ट पर तैनात हैं, एयरपोर्ट और विमानों के हर हिस्से तक पहुंच रखते हैं. उन्होंने कहा, "सरकार के पास सूचना थी कि इस स्थिति में इस कंपनी को ये काम सौंपना जोखिम भरा होगा."
तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि परमिट की मंजूरी रद्द करना राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताओं पर आधारित है, खासतौर से एयरक्राफ्ट सिक्योरिटी नियमों के तहत नियम 12 के अंतर्गत, जो खतरे की स्थिति में लाइसेंस रद्द करने की इजाजत देता है.
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16 मई को Çelebi ने हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
16 मई को Çelebi ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सरकार के फैसले को पूर्व सूचना के बिना लिए जाने पर चुनौती दी थी. कंपनी ने बताया कि उसके शेयरधारक तो तुर्की में रजिस्टर्ड हैं, लेकिन नियंत्रण विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त कंपनियों के हाथों में है, जो तुर्की में रजिस्टर्ड नहीं हैं.