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तसलीमा नसरीन को मिला भारत में रहने का रेजिडेंट परमिट, गृह मंत्री को कहा- थैंक्यू!

तसलीमा नसरीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, 'A World of thanks'. हाथ जोड़ने वाली इमोजी के साथ उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को भी टैग किया. उन्होंने सोमवार को अपने रेजिडेंट परमिट पर चिंता व्यक्त करते हुए एक पोस्ट में लिखा कि 'भारत मेरा दूसरा घर है. मुझे यहां रहने दीजिए.'

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तसलीमा नसरीन को मिला भारत में रहने का रेजिडेंट परमिट
तसलीमा नसरीन को मिला भारत में रहने का रेजिडेंट परमिट

लंबे इंतजार के बाद बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन को भारत में रहने के लिए रेजिडेंस परमिट मिल गया है. इसके लिए उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का धन्यवाद दिया है. एक दिन पहले ही उन्होंने सोशल मीडिया पर रेजिडेंस परमिट के लिए गृह मंत्री से अनुरोध किया था.

तसलीमा नसरीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, 'A World of thanks'. हाथ जोड़ने वाली इमोजी के साथ उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को भी टैग किया. उन्होंने सोमवार को अपने रेजिडेंट परमिट पर चिंता व्यक्त करते हुए एक पोस्ट में लिखा कि 'भारत मेरा दूसरा घर है. मुझे यहां रहने दीजिए.'

'भारत मेरा दूसरा घर है'

सोमवार को तसलीमा नसरीन ने लिखा, 'अमित शाह जी, नमस्कार. मैं भारत में रहती हूं क्योंकि मैं इस महान देश से प्यार करती हूं. पिछले 20 वर्षों से यह मेरा दूसरा घर रहा है. लेकिन गृह मंत्रालय 22 जुलाई से मेरे रेजिडेंस परमिट को बढ़ा नहीं रहा है. मैं बहुत चिंतित हूं. अगर आप मुझे यहां रहने देंगे तो मैं आपकी बहुत आभारी रहूंगी.'

तसलीमा नसरीन का रेजिडेंस परमिट 27 जुलाई को ही समाप्त हो गया था जिसका रिन्यूअल काफी दिनों से लंबित था. आजतक बांग्ला से विशेष बातचीत में तसलीमा नसरीन ने कहा था कि 'भारत में रहना उन्हें अच्छा लगता है लेकिन उनका रेजिडेंस परमिट अभी तक रिन्यू नहीं किया गया है.'

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1990 में पहली बार झेलना पड़ा विरोध

बता दें कि पहली बार बांग्लादेश में तसलीमा नसरीन को 1990 में विरोध का सामना करना पड़ा था. उन पर इस्लाम की आलोचना का आरोप लगा था. इसके बाद बांग्लादेश में 1994 में उन्हें फतवा और भारी विरोध का सामना करना पड़ा था जिसके बाद पहले उन्हें हाइडिंग में जाना पड़ा और अंत में देश छोड़ना पड़ा. तब से तसलीमा निर्वासन में ही हैं. 

1998 में वो कुछ दिनों के लिए बांग्लादेश गई थीं लेकिन शेख हसीना की सरकार के वक्त उन्हें फिर से देश छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया गया था. तसलीमा इसके लिए खालिदा जिया के साथ साथ शेख हसीना को भी उतनी जिम्मेदार मानती हैं. वह कहती हैं कि दोनों ने उन्हें बांग्लादेश में नहीं रहने दिया और इस्लामिक कट्टरपंथियों को बढ़ावा दिया.

दिल्ली में रहती हैं तसलीमा

कई वर्षों तक यूरोप में रहने के बाद शेख हसीना 2004-2005 के दौरान भारत आ गईं. शुरू में उन्होंने अपना ठिकाना पश्चिम बंगाल के कोलकाता में बनाया था. उन्हें उम्मीद थी कि बांग्लादेश के करीब रहकर वह कोलकाता से अपने वतन के अनुभव को महसूस करती रहेंगी लेकिन 2007 में उन पर दबाव बना और उन्हें कोलकाता भी छोड़ना पड़ा. कुछ दिन जयपुर रहने के बाद तसलीमा नसरीन फिलहाल दिल्ली में रहती हैं.

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