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इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के हथौड़े से क्या बदल पाएगा?

इलेक्टोरल बॉन्ड को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक क़रार क्यों दिया और पार्टियों के चुनाव प्रबंधन पर इसका क्या असर देखने को मिलेगा? किसान संगठनों के दिल्ली कूच का क्या अपडेट रहा, पंजाब में रेल रोकने का कितना असर दिखा और MSP के गारंटी वाले क़ानून पर किसान क्यों अड़े हैं? महाराष्ट्र में एनसीपी पर कब्ज़ा करने के बाद अजित पवार की निगाहें कैसे शरद पवार के गढ़ पर है और कैंसर की वैक्सीन को लेकर देश-दुनिया में क्या कोशिशें चल रही हैं, सुनिए आज के 'दिन भर' में नितिन ठाकुर से.

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इलेक्टोरल बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट से सरकार को बहुत बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है. इतना ही नहीं, कोर्ट ने पिछले 5 सालों के चंदे का हिसाब-किताब भी मांगा है. अब इलेक्शन कमीशन को बताना होगा कि पिछले 5 साल में किस पार्टी को किसने कितना चंदा दिया. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से पूरी जानकारी जुटाकर इसे अपनी वेबसाइट पर पब्लिश करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को कॉर्पोरेट जगत के लिए भी झटका माना जा रहा है.


चुनावी चंदे पर डंडा, BJP के लिए क्या झटका?


सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम के प्रावधान संविधान के आर्टिकल 19(1) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है. सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की वैधता को चुनौती देने वाली 4 याचिकाएं दाखिल की गई थीं. इन्हीं याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला दिया है


इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि नरेंद्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है. राहुल गांधी ने ये भी कहा कि  बीजेपी ने चुनावी बॉन्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था और आज इस बात पर मुहर लग गई है. आज सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ.  इस फैसले के बाद सरकार के पास अब आगे का रास्ता क्या है. सरकार अगला कदम क्या उठाने वाली है. इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या बीजेपी के लिए सेट बैक है और इस फैसले में विपक्ष के लिए क्या संदेश है? सुनिए 'दिन भर' की पहली ख़बर में.

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MSP क़ानून के पीछे किसानों की क्या दलील?


किसानों का आंदोलन आज तीसरे दिन भी जारी है. हरियाणा-पंजाब सीमाओं पर बड़ी संख्या में किसान डटे हुए हैं. इसके बरअक्स दिल्ली से सटी हरियाणा और यूपी की सीमाओं पर भी पुलिस का सख्त पहरा है. किसानों के इस आंदोलन को खत्म कराने के लिए सरकार कई दौर की वार्ता कर चुकी है. आज फिर से केंद्र सरकार के तीन मंत्रियों के साथ किसान प्रतिनिधियों की बातचीत चंडीगढ़ में चल रही है.


इस बीच गुरुवार को पहली बार यूपी की तरफ से भी किसान दिल्ली कूच करने निकले, हालांकि पुलिस ने उन्हें रोक लिया और बस में भरकर ले गई. ये किसान यूपी के गाजियाबाद की तरफ से गैस सिलेंडर और राशन लेकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे थे. वहीं पंजाब में किसानों ने रेल रोकने की कोशिश की. आम आदमी पार्टी ने किसानों के इस आंदोलन के समर्थन में अपनी दो रैलियां रद्द कर दी. आज प्रोटेस्ट के हाईलाइट क्या रहे.रेल रोकने का कितना असर देखने को मिला और किसान अपनी मांग पर क्यों अड़े हैं? सुनिए 'दिन भर' की दूसरी ख़बर में.


चाचा के गढ़ पर अजीत पवार की नज़र!

महाराष्ट्र की पॉलिटक्स के महारथी शरद पवार की राजनीतिक ग्रह-दशा आजकल ठीक नहीं चल रही है. उनकी पार्टी एनसीपी में फूट के बाद पिछले दिनों चुनाव आयोग का फैसला आया. आयोग ने उनके बाग़ी भतीजे अजित पवार को पार्टी का असल हक़दार बताया. इस मामले में एक फैसला महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर को भी करना था और वो ये कि शरद पवार से बग़ावत करने वाले एनसीपी विधायकों की सदस्यता वैध है या नहीं. आज शाम ये फैसला आ गया है. अपने फैसले में उन्होंने सभी विधायकों को योग्य ठहराया और  अयोग्या के मामले की सभी याचिकाओं को रद्द कर दिया है. उन्होंने अजित गुट को ही असली NCP भी घोषित किया. स्पीकर के फैसले का आधार क्या रहा और महाराष्ट्र में एनसीपी पर कब्ज़ा करने के बाद अजित पवार की निगाहें कैसे शरद पवार के गढ़ पर है? सुनिए 'दिन भर' की तीसरी ख़बर में.

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कैंसर की वैक्सिन बनाना मुश्किल क्यों?


कैंसर के बारे में सबसे पुरानी और आम धारणा ये है कि यह एक लाइलाज़ बीमारी है. दुनिया ने मेडिकल सेक्टर में काफी तरक्की की है. लेकिन वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन यानि WHO की मानें तो पूरी दुनिया में कैंसर से हर साल क़रीब 1 करोड़ लोग मरते हैं. कैंसर तो 200 से भी अधिक तरह के होते हैं, इनमें जो सबसे कॉमन हैं उनमें ब्रेस्ट, लंग, कोलन, रेक्टम और प्रोस्टेट कैंसर हैं. अब कुछ ऐसे भी कैंसर होते हैं जो इन्फेक्शन से फैलते हैं जैसे हेपेटाइटिस और ह्यूमन पेपिलोमा वायरस से होने वाले कैंसर. WHO बताता है कि लो और लोअर मिडिल इनकम वाले देशों में कैंसर के 30 फीसदी मामलों के लिए ये इन्फेक्शन से होने वाला कैंसर ज़िम्मेदार है. कल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस के वैज्ञानिक कैंसर की वैक्सीन बनाने के बहुत नज़दीक हैं और जल्दी ही इसे मरीज़ों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा. हालाँकि इसको लेकर ज्यादा डिटेल उन्होंने शेयर नहीं किया. वैसे देखा जाए तो अभी दुनिया में कैंसर के कुछ वैक्सीन्स मौजूद हैं. कैंसर की वैक्सीन को लेकर देश-दुनिया में क्या कोशिशें चल रही हैं? सुनिए 'दिन भर' की आखिरी ख़बर में.


 

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