सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने पॉक्सो के एक मामले में दोषी की दलील को खारिज कर दिया. दोषी ने तर्क दिया था कि उसकी बेटी ने उसे झूठा फंसाया है. यह आरोप इसलिए लगाया गया था, क्योंकि वह अपनी बेटी के प्रेम संबंध के ख़िलाफ़ था. बेंच ने उसकी इस दलील को पूरी तरह से खोखला बताते हुए खारिज कर दिया.
बेंच ने इस क्राइम को एक ऐसा अपराध बताया जो 'परिवार को सुरक्षा के स्थान के रूप में देखने की धारणा को ही नष्ट कर देता है.' कोर्ट ने यह भी साफ किया कि याचिकाकर्ता का यह तर्क कि उसे तनावपूर्ण घरेलू संबंधों की वजह से फंसाया गया था, पूरी तरह से बेबुनियाद है. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी बेटी, चाहे कितनी भी परेशान क्यों न हो, घरेलू अनुशासन से बचने के लिए अपने पिता के खिलाफ इतने गंभीर आरोप नहीं लगाएगी.
आजीवन कारावास की सज़ा बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल की बेटी के साथ बार-बार रेप के दोषी ठहराए गए शख्स को मिली आजीवन कारावास की सज़ा को बरकरार रखा. यह फैसला इस बात को पुष्ट करता है कि ऐसे जघन्य अपराधों के प्रति कोर्ट का रुख बिल्कुल सख्त है.
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पीड़िता को मिलेगा मुआवजा
बेटी के साथ किए गए इस जघन्य अपराध को कोर्ट ने परिवार की नींव को हिला देने वाला बताया. इसके साथ ही, कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह पीड़ित लड़की को मुआवज़े के रूप में 10.5 लाख रुपये दे. यह राशि पीड़िता को इस सदमे से उबरने में मदद करने के मकसद से दी जाएगी.