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'अब भी एक झूठ बोल रहे...', ऑपरेशन ब्लू स्टार को गलती बताने वाले चिदंबरम पर SGPC का पलटवार

ऑपरेशन ब्लू स्टार पर चिदंबरम के बयान के बाद SGPC ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि चिदंबरम ने सही कहा कि ऑपरेशन गलत था, लेकिन झूठ बोला कि यह साझा फैसला था. SGPC का दावा है कि यह पूरी तरह इंदिरा गांधी का निजी निर्णय था.

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चिदंबरम के ब्लू स्टार बयान पर SGPC ने जताई नाराज़गी (File Photo: PTI)
चिदंबरम के ब्लू स्टार बयान पर SGPC ने जताई नाराज़गी (File Photo: PTI)

SGPC reaction on Chidambaram operation blue star comment: कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम के ऑपरेशन ब्लू स्टार पर बयान के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. SGPC ने चिदंबरम के बयान का स्वागत तो किया है लेकिन साथ ही उन पर झूठ बोलने का आरोप भी लगाया है.

SGPC का कहना है कि चिदंबरम 'देर आए दुरुस्त आए' लेकिन अभी भी एक झूठ बोल रहे हैं. उनकी मुख्य आपत्ति इस बात पर है कि चिदंबरम ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को 'साझा फैसला' बताया था. SGPC का दावा है कि यह इंदिरा गांधी का अकेला और उनके निजी एजेंडे का फैसला था.

SGPC ने कहा, 'ब्लू स्टार इंदिरा गांधी का एकलौता और अपने एजेंडे का फैसला था, न कि सेना, पुलिस और गुप्तचर विभाग का मिलाजुला फैसला.'

1984 के दंगों पर सवाल

SGPC ने कांग्रेस की दोहरी नीति पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने पूछा है कि अगर कांग्रेस वाकई अपनी गलती मानती है तो राहुल गांधी जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार पर क्यों नहीं बोलते हैं? इसके बजाय वे उनके साथ बैठते क्यों हैं?

जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार पर 1984 के सिख विरोधी दंगों में भूमिका निभाने के आरोप लगे हैं. सज्जन कुमार को सजा भी हुई है, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व इन मुद्दों पर खुलकर बात नहीं करता.

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यह भी पढ़ें: 'ऑपरेशन ब्लू स्टार गलत तरीका था, इंदिरा गांधी ने अपनी जान देकर कीमत चुकाई', चिदंबरम बोले

चिदंबरम ने क्या कहा था?

चिदंबरम ने हिमाचल प्रदेश के कसौली में कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार "गलत तरीका" था. उन्होंने कहा  कि इंदिरा गांधी ने इस गलती की कीमत अपनी जान देकर चुकाई. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि यह फैसला अकेले इंदिरा गांधी का नहीं था बल्कि सभी विभागों का मिलाजुला था.

SGPC के बयान के मायने

SGPC का यह बयान दिखाता है कि 40 साल बाद भी 1984 के घाव पूरी तरह नहीं भरे हैं. सिख समुदाय अभी भी चाहता है कि कांग्रेस इस मामले में पूरी सच्चाई स्वीकार करे.

SGPC की प्रतिक्रिया से साफ है कि सिख समुदाय चिदंबरम के बयान से पूरी तरह संतुष्ट नहीं है. वे चाहते हैं कि कांग्रेस पूरी जिम्मेदारी ले और 1984 की सभी घटनाओं के लिए माफी मांगे.

राशिद अल्वी ने चिदंबरम पर उठाए सवाल

ऑपरेशन ब्लू स्टार पर चिदंबरम के बयान के बाद कांग्रेस पार्टी के अंदर ही विवाद शुरू हो गया है. कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने चिदंबरम पर सीधा हमला बोला है. अल्वी ने कहा, 'ऑपरेशन ब्लू स्टार सही था या गलत, यह अलग बात है. लेकिन 50 साल बाद चिदंबरम को कांग्रेस पार्टी और इंदिरा गांधी पर हमला करने की क्या जरूरत है? वह वही काम कर रहे हैं जो BJP और प्रधानमंत्री करते हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. चिदंबरम खिलाफ आपराधिक मामले अभी भी लंबित हैं. मुझे आश्चर्य है कि कहीं वे किसी दबाव में तो नहीं हैं कि कांग्रेस पार्टी पर हमला करते रहें.'

क्या है ऑपरेशन ब्लू स्टार?

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जून 1984 में पंजाब के अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर में एक बड़ी सैन्य कार्रवाई हुई थी. इसे ऑपरेशन ब्लू स्टार कहते हैं. स्वर्ण मंदिर में जरनैल सिंह भिंडरावाले नाम का एक नेता और उसके साथी छुप गए थे. वे अलगाववादी थे और पंजाब को भारत से अलग करना चाहते थे. उसने स्वर्ण मंदिर को अपना अड्डा बना लिया था और वहां से हिंसक गतिविधियां चला रहा था. 

उस समय पंजाब में बहुत अशांति थी. आतंकवादी घटनाएं बढ़ रही थीं और कानून व्यवस्था बिगड़ गई थी. कांग्रेस सरकार को लगा कि इन उग्रवादियों को हटाना जरूरी है.

इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार ने फैसला लिया कि सेना भेजकर इन उग्रवादियों को स्वर्ण मंदिर से निकाला जाए. यह बहुत मुश्किल काम था क्योंकि स्वर्ण मंदिर सिखों का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल है.

यह भी पढ़ें: राहुल गांधी के ‘राम’ और ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ पर बयान के राजनीतिक मायने क्या हैं?

सेना ने स्वर्ण मंदिर में जाकर जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके साथियों को मार गिराया. लेकिन इस कार्रवाई में पवित्र गुरुद्वारे को भी नुकसान हुआ.

इस कार्रवाई के बाद पूरे सिख समुदाय में बहुत गुस्सा था. उन्हें लगा कि सरकार ने उनके सबसे पवित्र स्थान का अपमान किया है. सिखों में कांग्रेस के खिलाफ बहुत गुस्सा भर गया.

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अक्टूबर 1984 में इंदिरा गांधी के दो सिख सुरक्षाकर्मियों ने उनकी हत्या कर दी. ये दोनों ऑपरेशन ब्लू स्टार से बहुत नाराज थे और बदला लेना चाहते थे.

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली और दूसरे शहरों में सिखों के खिलाफ भयानक दंगे हुए. हजारों बेगुनाह सिख मारे गए. कांग्रेसी नेताओं पर इन दंगों को भड़काने के आरोप लगे.

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